बकरी पालन किसानों की आय को बढ़ाने का एक अच्छा स्रोत है। बकरी के मांस की मांग बाजार में दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में बकरी पालक बकरियों को बेच कर अच्छे पैसे कमा सकते हैं। इसके साथ ही बकरी का दूध बेचकर भी किसान मोटी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। अन्य पशुओं की तुलना में बकरी के रख रखाव में भी कम लागत आती हैं। यदि आप भी जुड़ना चाहते हैं बकरी पालन के व्यवसाय से तो इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां कृषि जागृति के इस पोस्ट से प्राप्त कर सकते हैं।
बकरियों को रहने के लिए साफ एवं सूखे स्थान की आवश्यकता होती हैं। छोटे स्तर यानि 2 से 5 बकरियों को पालने के लिए विशेष आवास की आवश्यकता नहीं होती हैं। वहीं यदि बड़े स्तर पर बकरियों का पालन करना है तो बकरियों के लिए अलग आवास की आवश्यकता होती हैं।
प्रत्येक बकरी को उसके वजन का 3 से 5 प्रतिशत शुष्क आहार देना चाहिए। प्रत्येक व्यस्क बकरी को 1 से 3 किलोग्राम हरा चारा, 500 ग्राम से 1 किलोग्राम भूसा के साथ 150 ग्राम से 400 ग्राम दाना देना चाहिए।
बकरियों को दिए जाने वाले दाने मै 60 से 65 प्रतिशत दारा हुआ अनाज, 10 से 15 प्रतिशत चोकर, 15 से 20 प्रतिशत खली, 2 प्रतिशत मिनरल मिक्सचर एवं 1 प्रतिशत नमक होना चाहिए।
बकरियों के अनाज मै खली की पूर्ति के लिए सरसो की खली का प्रयोग न करें। बकरियों का दाना सुखा हुआ देना चाहिए। दानों में पानी मिलकर न दे। इसके साथ ही बकरियों के पीने के लिए साफ पानी का प्रबंध करें।
एक बकरी लगभग डेढ़ वर्ष की आयु में प्रजनन के योग्य हो जाती हैं। आमतौर पर एक बकरी एक बार में 2 से 3 बच्चे देती हैं। वर्ष में 2 बार बच्चे देने से इनकी संख्या में वृद्धि होती हैं। बकरियों के बच्चों की एक वर्ष की आयु के बाद बिक्री की जा सकती हैं।
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