गेहूं की फसल में तना छेदक रोग गेहूं के पौधों को प्रभावित करने वाला एक पादप विषाणु है। यह गुलाबी, सफेद और पीले रंग का कीट है जो पौधे पर कलियां निकलने के बाद आक्रमण करता है। यह गेहूं को खिलाने वाली एक प्रमुख बीमारी है और कई क्षेत्रों में गेहूं की पैदावार को कम कर सकती है। इस रोग के लक्षणों को पहचानना जरूरी है ताकि किसान उचित कदम उठा सकें।
इन बालियों में दाने नहीं बनते तथा खेत में ऐसे पौधों की बालियां सीधी एवं सफेद दिखाई देती हैं। इस रोग की रोकथाम शुरू में ही जैविक विधि से करनी चाहिए, अन्यथा गेहूं की फसल को बहुत नुकसान होता है। कभी-कभी तो पूरी फसल ही खराब हो जाती है।
गेहूं की फसल में तना छेदक रोग के लक्षण
- गेहूं के पौधों पर तना छेदक रोग का पहला लक्षण धूप और पत्तियों में चमक है।
- पत्तियां हल्के हरे रंग की दिखाई देती हैं, जो बाद में गहरे रंग की हो जाती हैं।
- इससे पौधों की वृद्धि में कमी आती है।
- आक्रमणित पौधे छोटे और कमजोर हो सकते हैं।
- जिससे पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
गेहूं की फसल में तना छेदक रोग से बचाव के जैविक उपाय
यदि संक्रमण मामूली है और शुरुआती चरण में है तो क्षतिग्रस्त पौधों को लार्वा सहित जड़ों से हटा दें और नष्ट कर दें। यदि प्रकोप मध्यम हो तो 15 मिली जी बायो फॉस्फेट एडवांस को 15 लीटर पानी में मिलाकर गेहूं की 45 दिन की फसल पर स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन बाद गेहूं की 55 दिन की फसल पर स्प्रे करें। अगर रोग शुरुआती चरण में है तो तब भी इस पोषक तत्व कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं।
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