पशुओं के पेट में किड़ो की समस्या को हल्के में लेना पशुपालकों की आय पर भारी पड़ सकता हैं। पशुओं को मुंह के द्वारा या इंजेक्शन द्वारा कीड़े मारने की दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं से पशुओं के पेट में पल रहे कीड़े भी मर जाते हैं। और पशुओं को किसी तरह का नुकसान भी नही होता हैं। इस प्रक्रिया को डिवर्मीग भी कहा जाता हैं।
पशुओं को पेट के किड़ो से बचाने के लिए करे ये कार्य!
पशु आवास की नियमित रूप से साफ सफाई करते रहे। जल निकासी की उचित व्यवस्था भी करें। पशु आवास में गोबर, मूत्र आदि को फैलने न दे। पशुओं के लिए स्वच्छ आहार एवं पानी की उच्चित व्यवस्था करें। नाद की सफाई करते रहें।
पशुओं के पेट के कीड़े का प्राकृतिक उपचार
नीम का अर्क: नीम की पत्तियों को कूट कर उसका रस निकाले। प्रभावित पशुओं को 300 मिलीलीटर नीम का रस पिलाएं। इससे पेट के किड़ो से निजात मिलता है।
पशुओं को कृमिनाशक दवा पिलाने से पहले रखे इन खास बातो का ध्यान पशुओं के पेट के कीड़े मारने की दवा देने से पहले उसकी गोबर की जांच अवश्य करा लें। पशु चिकित्सा सामान्यत: नवजात पशु के जन्म के पहले सप्ताह में ही पेट के कीड़े मारने की दवा पिलाने की सलाह देते हैं। इसके बाद 6 महीने की आयु तक के पशुओं को हर महीने एक बार कृमीनाशक दवा पिलाएं।
6 महीने से अधिक आयु के पशुओं को प्रत्येक 3 महीने के अंतराल पर पेट के कीड़े मारने की दवा पिलाएं। दवा की मात्रा का विशेष ध्यान रखें। पशुओं को उनके शारीरिक वजन के अनुसार दवा पिलाएं। एक ही दवा को बार बार पिलाने की जगह, दवाओं को बदल कर दे। एक ही दवा बार बार देने से कीड़े उस दवा के प्रति प्रतिरक्षा विकाशित कर लेते हैं।
यह भी पढ़े: पशुओं के पेट में किड़ो को न बनने दें, नहीं तो बनेंगे दूध उत्पादन में कमी का कारण!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती से संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें।