गलन रोग खीरा की फसल और अन्य कद्दू वर्गीय फसलों के लिए एक खतरनाक रोग के रूप में जाना जाता है। यह एक फफूंद के कारण होने वाला रोग है, जो धीरे-धीरे पूरी खेत की मिट्टी में फैलकर खीरे के पौधों की जड़ों को पूरी तरह से गलाने का कार्य करता है। यह रोग मिट्टी में पहले से मौजूद होते हैं। और बीजों को अंकुरित होने से पहले ही इन्हें नष्ट करने के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी होते हैं। इसके अलावा यह रोग नर्सरी अवस्था की फसलों को भी एक बड़े स्तर पर प्रभावित करते हैं। नर्सरी में इस रोग का प्रकोप पौधे को पूरी तरह से गला देता है।
गलन रोग के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले लक्षण मिट्टी की सतह पर एक सफेद सांचे के रूप में प्रकट होते हैं। ये लक्षण धीरे-धीरे फिर नए अंकुरित पौधों के तानों की ओर बढ़ते हैं, जिससे तने सिकुड़े हुए काले होकर अंतत फिर गिर जाते हैं। हालांकि गलन रोग के बाद भी कुछ समय के लिए तना सीधा रह सकता है। इस तरह का गलन रोग मुख्य रूप से बहुत छोटे बीज अंकूरों को प्रभावित करता है।
इस तरह के गलन रोग से बचे हुए पौधे जब बड़े होते हैं, तो उनके तने सख्त होते जाते हैं और रोग निष्क्रिय होने लगता है। अन्य तरह का गलन रोग बीज को अंकुरित होने से पहले ही मिट्टी में मार देता है। बड़े हुए पौधे का शीर्ष पीले हो जाते हैं और सूखने लगते हैं। जड़ गलन रोग के बीजाणु लगभग सभी तरह के मिट्टी में मौजूद पाए जाते हैं। इसलिए खेत और नर्सरी की तैयारी करते समय मिट्टी जनित रोग व बीज जनित रोग के बचाव से जुड़ी प्रथाओं को अपनाने की जरूरत है।
मिट्टी जनित व रोग जनित रोग के रोगथाम के जैविक विधि
खीरे की बुआई करने से पहले इसके बीज को जरूर उपचार कर लें। बीज उपचार करने के लिए 10 मिली जी बायो फॉस्फेट एडवांस को एक किलोग्राम बीज में मिलाकर उपचार कर 15 से 20 मिनट किसी छायादार स्थान पर हवा लगने के बाद बुवाई करें।
बीजों को आप दो तरह से उपचारित कर सकते है। बिना पानी के और पानी के साथ। पानी के साथ उन बीजों को उपचारित करे को मैहिन है, और जो मोटे बीज है उन्हे बिना पानी के उपचार करें।
यदि फसल में नर्सरी की अवस्था में इस रोग के लक्षण देखने को मिले तो पौध की रोपाई करने से पहले 50 लीटर पानी में 100 मिली जी बायो फॉस्फेट एडवांस को मिलाकर पौध की जड़ों को 15 से 20 मिनट तक डूबों कर रखे। फिर बुआई करे।
बुआई करने से पहले खेत की मिट्टी को उपचारित कर लें। मिट्टी उपचारित करने के लिए 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट में 10 किलोग्राम जी सी पावर और एक लीटर जी बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर प्रति एकड़ खेत में बिखेर कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। फिर बुआई करे।
खेत में जलजमाव की स्थिति न पैदा होने दें। और पौध के बीज उचित दूरी रखें। खेत में खरपतवार की स्थिति पर निगरानी रखने के लिए निरंतर निराई गुड़ाई करते रहें।
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