हाइब्रिड बीज परिपक्वता, पौधों की ऊंचाई, उच्च प्रतिष्ठितता और उत्पादकता के लिए विशेष चुनौतियों को पूरा करने के लिए विकसित की जाती हैं। हाइब्रिड बीजों को दो या अधिक प्राकृतिक जातियों के गुणों की संयोजन के माध्यम से विकसित किया जाता है, जिसके कारण वे प्रदर्शन में प्राकृतिक बीजों से अलग होते हैं।
हाइब्रिड बीजों की खासियत है कि वे द्विपक्षीय प्रजातियों के प्राकृतिक अनुसन्धान के माध्यम से विकसित की जाती हैं। इन बीजों का निर्माण विशेष तकनीकों का उपयोग करके किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वे बीजों के संकर वर्गों के मिश्रण से प्राप्त होते हैं। हाइब्रिड बीजों को एक बार ही फसल पैदा की जा सकती है क्योंकि इनमें प्रजातियों को आपस में संयोजित करने के बावजूद,
वे अपनी संवर्धनशीलता खो देते हैं। यह मतलब है कि इन बीजों के बाद आगे उत्पन्न होने वाली पीढ़ियां विकासशील नहीं होती हैं और उनके विशेषताओं का पुनर्जीवित होना संभव नहीं होता है। इसलिए, किसानों को हर बार नए बीज खरीदने की ज़रूरत होती है। इसके अलावा, हाइब्रिड बीजों को कीटनाशकों का अधिक इस्तेमाल करना पड़ता है
क्योंकि इनमें विकसित प्रजातियों को कीटों और रोगों के खिलाफ कमजोरी हो सकती है। हाइब्रिड प्रजातियों की उच्च उपजाऊता और अनुकरणीय गुणधर्मों के लिए, कीटनाशकों का उपयोग जरूरी होता है ताकि पौधों को संरक्षित रखा जा सके और प्रजातियों की उत्पादन की क्षमता को कम खोया जाए।
कीटनाशकों का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक और व्यवस्थित ढंग से किया जाना चाहिए ताकि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को कम से कम हानि पहुंचे। उचित गाइडलाइन और विज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से, कीटनाशकों के प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है और फसल उत्पादन की उच्चतम संभावना सुनिश्चित की जा सकती है।
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