हमारे देश में मिश्रित फसल उगाने की परम्परा बहुत सालो से चली आ रही है। जैसे की गेहूं और सरसों की ओर कोई ऐसी दो फसलें एक साथ खेत में उगाई जाती है जो एक समय में ही हैं लेकिन उनके लिए मौसम, सिंचाई, उर्वरक व खाद प्रबंधन आदि अलग-अलग होते हैं। इसके अलावा कभी कभी तो ऐसा होता है कि दो फसलों में एक फसल जल्दी तैयार होती है तो दूसरी देर से तैयार होती है। एक फसल के सर्दी का मौसम फायदेमंद होता है तो दूसरे के लिए नुकसानदायक होता है।
कुछ किसान ऐसे भी हैं जो गेहूं और सरसों की खेती एक साथ करते है। गेहूं के साथ सरसों की फसल को अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि इन दोनों फसलों की प्राकृतिक जरूरतें अलग-अलग होतीं हैं। इन दोनों फसलों की खेती के लिए भूमि, खाद, सिंचाई आदि की व्यवस्था भी अलग-अलग की जाती हैं। दोनों ही फसलों की बुआई व कटाई का समय भी अलग होता है। इन दोनों फसलो को एक साथ उगाने से किसान अच्छी पैदावार प्राप्त नहीं कर पाता है।
आपको बता दें कि गेहूं और सरसों की मिलीजुली खेती से वर्षा की कमी से सरसों की फसल को नुकसान हो सकता है जबकि गेहूं की फसल को उतना नुकसान नही होता। वहीं सिंचाई की जल की कमी होने से सरसों की फसल अच्छी होगी जबकि गेहूं की फसल खराब हो सकती है।
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