गेहूं की बालियों में लगने वाले रोगों को जैविक उपचार करने के लिए आपको इन बातो का पालन करें। कनक यानी गेहूं दुनिया की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी का मुख्य भोजन है और हमारे देश की एक मुख्य अनाज फसल भी हैं। भारत में गेहूं का कुल उत्पादन लगभग 29.8 मिलियन हेक्टेयर में किया जाता हैं। मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे कई राज्यों में गेहूं का उत्पादन भारी मात्रा किया जाता हैं।गेहूं की बुवाई नवंबर माह के दौरान की जाती है और इसे अप्रैल के अंत से जून के अंत तक काटा जाता है।
गेहूं की बुआई से लेकर कटाई तक अगर इसकी सही तरीके से देखभाल न की जाए तो इसमें कई प्रकार के हानिकारक रोग लगने की संभावना बढ़ जाती हैं। अगर इन रोगों पर समय रहते काबू पा लिया जाए तो गेहूं की फसल का उत्पादन कई गुना तक बढ़ाया जा सकता है और उत्पादन को गिरने से बचाया जा सकता हैं।
लूज स्मट: गेहूं की बालियों में लगने वाले इस रोग का नाम लूज स्मट हैं। गेहूं के पौधों में इस रोग के लक्षण बाली निकलने के साथ ही दिखाई देने लगते हैं। इस रोग के लक्षण गेहूं के पौधों के तने, पत्तियों पर दिखाई नहीं देते हैं। बल्की यह रोग सामान्य बाली के स्थान पर रोगी बाली के दानों (अंडाशय) में काले पाउडर के रूप में नजर आते हैं।
ब्लैक रस्ट: इस फंगस के जीवनचक्र में विभिन्न प्रकार के स्पोर्स पाए जाते हैं। यह कवक अपना जीवन परजीवी के रूप में दो विभिन्न फसलों अर्थात गेहूं और बारबेरी के ऊपर व्यतीत करता हैं।
इस प्रकार के रोगों के लगने की संभावनाएं उस समय से ही बढ़ जाती हैं, जब संक्रमित बीज को खेत में बोया जाता है। बीज बोने के बाद ये नए अंकुरण को जन्म देता है। साथ ही बीजों के भ्रूण में पड़ा हुआ कवक तंतु सक्रिय होकर फैलने (अंकुरण) लगता है और बीजाअंकुर के साथ-साथ वृद्धि करने लगता हैं। इस प्रकार गेहूं की बाली रोग कारक से भर जाती है और वे फट जाती हैं। इस प्रकार से ये रोग चक्र निरंतर चलता रहता हैं।
गेहूं की बालियों में लगने वाले इस रोग का एक उपचार यह है कि आप उस रोगग्रस्त पौधे को जड़ से उखाड़ कर फेक दें या फिर गेहूं का बीज बोने से पहले स्वस्थ व गुणवत्ता कारी बीजों का चयन करें। इसके साथ ही अगर आप बीज बोने से पहले इसका उपचार 10 मिली जी-बायो फास्फेट एडवांस से प्रति किलोग्राम गेहूं बीज के हिसाब से करते हैं तो आप की गेहूं की फसल के बालियों में लगने वाले इस रोग से मुक्त कर सकते हैं।
इसके अलावा इस रोग को मुक्त करने के लिए प्रति एकड़ खेत के अनुसार मिट्टी को उपचार करने के लिए 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी गली व भुरभुरी थोड़ी नमी वाली गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 1 लीटर जी-बायो फास्फेट एडवांस मिलाकर कर प्रति एकड़ खेत में बिखेरना चाहिए। इसके अलावा 1 लीटर जी-बायो फास्फेट एडवांस को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ गेहूं के खेत में बलिया निकलने से पहले इसका स्प्रे करना चाहिए।
अगर हमारे किसान भाई इन उपरोक्त तरीकों से गेहूं की बालियों में लगने वाले इस रोग को मुक्त करने के लिए उपचार करते हैं तो इससे आपकी गेहूं की फसल बिना किसी रोग के शानदार उत्पादन के साथ होगी और भविष्य के लिए भी आप अपनी बीज और पैदावार को सुरक्षित और रोगमुक्त कर सकते हैं।
नोट: गैलवे कृषम के सभी जैविक उत्पाद की खासियत यह है कि ये ईको फ्रेंडली हैं और मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों तथा पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं।
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