गैलवे कृषम

आलू की फसल में लगने वाले रोगों को गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों से कैसे उपचार करें!

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krishijagriti5

अक्सर किसान आलू की फसल में लगने वाले रोगों से परेशान रहते है, जिनके चलते न सिर्फ उनकी फसल खराब होती है बल्कि आर्थिक रूप से बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ता है। लेकिन अब हमारे किसान भाइयों को परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब आपके पास गैलवे कृषम के शानदार जैविक उत्पाद है जो हमारे किसान भाइयों की आलू की फसल को रोगों से बचाकर आपको आर्थिक लाभ पहुंचाते हैं।

आलू हमारे देश की सबसे प्रमुख फसल हैं। तमिलनाडू और केरल को छोड़कर सारे देश में आलू की खेती की जाती है। यह फसल कम समय में किसानों को ज्यादा फायदा देती है, पर पुराने तरीके से खेती कर के किसान इस से ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने से चूक जाते हैं।

किसानों की ये खास नगदी फसल है। अन्य फसलों की तुलना में आलू की खेती कर के कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। अगर किसान आलू को परंपरागत तरीके से खेती को छोड़ कर नए तरीकों और सावधानी से खेती करे तो पैदावार और मुनाफे को कई गुना तक बढ़ाया जा सकता है।

आलू की फसल में लगने वाले रोग

पूरे देश में खेती होने के साथ ही आलू की फसल पर मौसम और मौसमी बीमारियों से नुकसान होने की आशंका बनी रहती है। इसमें से एक प्रमुख रोग है, लेट ब्लाइट। इस रोग से प्रभावित होने पर आलू के पौधों में फूल आने की अवस्था में जमीन के नजदीकी पत्तियों पर पीले या हरे रंग के वृताकार या अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देने लगते हैं।

ये धब्बे पत्तियों के ऊपरी सिरों या किनारों से बनना आरंभ होते हुए उनके मध्य भाग की ओर बढ़ते हुए पूरे पौधे पर हो सकते हैं। लेट ब्लाइट रोग के लिए नम मौसम बेहद अनुकूल होता है। नम मौसम में यह रोग तेजी से फैलता है और पत्तियों से शुरू होकर पूरे पौधे में फैल जाता है।

आलू की फसल को इस बीमारी से बचाव

लेट ब्लाइट रोग को नियंत्रण करने के लिए आलू के बीजों को बुवाई से पहले उपचारित करना चाहिए। बीज उपचार के लिए 5 से 10 मि.ली. गैलवे कृषम के जैविक उत्पाद जी-बायो फास्फेट एडवांस या 5 से 10 मि.ली. जी-डर्मा प्लस को 1 लीटर पानी में मिलाकर। फिर इस घोल में 1 किलोग्राम आलू के बीज को 15 से 20 मिनट तक घोल के अंदर ही छोड़ दे उपचारित होने के लिए फिर बीजों को घोल से निकाल कर 30 मिनट तक किसी छायादार स्थान पर सुखाकर फिर उसके बाद बुवाई करने से लेट ब्लाइट रोग से बचाव हो जाता है।

लेकिन किसान भाइयों को यह ध्यान रखना चाहिए कि इसकी फसल में अत्यधिक नाइट्रोजन उर्वरकों का इस्तेमाल लेट ब्लाइट रोग को बढ़ा सकता है। साथ ही ज्यादा सिंचाई भी लेट ब्लाइट रोग को बढ़ाने में सहायक होता है। इसलिए किसान भाइयों को चाहिए कि संतुलित मात्रा में में नाइट्रोजन का इस्तेमाल करें और अत्यधिक सिंचाई करने से बचें। यदि किसान भाई उपयुक्त बातों को ध्यान में रखेंगे तो उनको आलू की बेहतरीन फसल मिल सकती हैं।

नोट: गैलवे कृषम के सभी जैविक उत्पाद की खासियत यह है कि ये ईको फ्रेंडली हैं और मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों तथा पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं।

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Tags: Agri Care Organic Farming Tips Potato Crop