गैलवे कृषम

सरसों की फसल में लगने वाले रोगों को गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों से कैसे उपचार करें!

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krishijagriti5

कम सिंचाई व लागत से अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक लाभ के कारण सरसों की खेती हमारे किसानों के लिए बहुत ही लोकप्रिय होती जा रही है। लेकिन सरसों की फसल में लगने वाले रोगों के कारण कई बार पीले सरसों की चमक काली पड़ जाती है।

सरसों की फसल में लगने वाले रोग बहुत नुकसान कर रहे हैं तो अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। हमारे किसान भाइयों को क्योंकि अब हमारे किसान भाई गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करके सरसों की फसल में लगने वाले रोगों से बचा सकते हैं।

तो आइए जानते हैं कैसे? नया साल दस्तक दे चुका है और मौसम ने भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। आज आप जहां तक अपनी नजर दौड़ाते है, खेतों में कई फसलें लहलहाती नजर आती है और अगर आप सरसों के खेत में खड़े है तो फिर कहने ही क्या! हरी मखमली सतह पर बिछी पीली चादर नजर को मोह लेती है।

पर इस पीली चादर पर अक्सर कई तरह के रोग भी लगते है जो किसान भाइयों की खुशी को बदरंग कर देते है। लेकिन फसल की सही देखभाल और गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करके हमारे किसान भाई अपनी सरसों की फसल को कई रोगों को लगने से बचा सकते हैं। वो कौन से रोग है ये रोग और कैसे आप गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करेंगे तो आइए जानते हैं।

सरसों की फसल में लगने वाले रोग और गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों से बचाव

सफेद रोली जिसे वाइट रस्ट भी कहां जाता है, सरसों का एक कॉमन रोग है। इस रोग के कारण सरसों की बुवाई के 30 से 40 दिनों के बाद पौधों की पत्तियों पर उभरे हुए फफोले दिखाई देते हैं। इस रोग से फसल को बचाने के लिए फसल बोने से पहले सरसों के बीज को उपचार जरूर करें। बीज उपचार करने के लिए हमारे किसान भाई प्रति किलोग्राम सरसों के बीज में 10 मिली जी-बायो फास्फेट एडवांस को मिलाएं और उसे 30 मिनट तक छाया में सुखाकर फिर बुवाई करें। इससे इन रोगों से बचाव हो जाता हैं।

स्केलेरोटीनिया या तना सड़न एक ऐसा रोग है जो सामान्यतः सरसों की फसल को काफी नुकसान पहंचाता है। इस रोग से ग्रस्त सरसों के पौधों का तना सड़ने लगता है। इन रोगों से बचाव के लिए गैलवे कृषम के जैविक उत्पाद जी-बायो फास्फेट एडवांस को 10 मिली 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें। इसके अलावा अन्य रोगों से बचाव के लिए बुवाई के 50 से 60 दिनों बाद कर्बोनडाजीम 12% + मेकौजेब 63% के मिश्रण का 02% के घोल का सरसों की फसल पर छिड़काव कर सकते हैं।

यदि हमारे किसान भाइयों को सरसों की खड़ी फसल में तना सड़न रोग दिखाई देता है तो उपयुक्त उपचार को कर सकते हैं। आवश्यकतानुसार बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन के अंतराल पर 15 मिली जी-बायो फास्फेट एडवांस को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे को दोहराना चाहिए।

नोट: गैलवे कृषम के सभी जैविक उत्पाद की खासियत यह है कि ये ईको फ्रेंडली हैं और मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों तथा पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं।

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