उत्तर भारत में जाड़े के मौसम में वातावरण में बहुत परिवर्तन देखने को मिलता है। कभी कभी तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। कभी कभी कई कई दिन तक कोहरे छाए रहते है, सूर्य की किरणे देखने को ही नही मिलती है। जिन फल फसलों में दूध जैसे स्राव बहते है, वे जाड़े के मौसम में कुछ ज्यादा ही प्रभावित होते है, क्योंकि जाड़े में अत्यधिक काम तापक्रम की वजह से स्राव पेड़/पौधे के अंदर ठीक से नहीं बहते है जिसकी वजह से पौधे पीले होकर बीमार जैसे दिखने लगते है।
इस तरह के वातावरण में बागवान यह जानना चाहते है की क्या करे क्या न करें की कम से कम नुकसान हो एवम अधिकतम लाभ मिले। फल फसलों की प्रकृति बहुवर्षीय होती है इसलिए इनका रखरखाव धान्य फसलों से एकदम भिन्न होता है। आइए जानते है की जाड़े के मौसम में अमरूद,आवला एवम कटहल के पेड़ों की देखभाल कैसे करें की अधिकतम लाभ हो एवम न्यूनतम नुकसान हो।
उत्तरी भारत में, आंवला के फलों की तुड़ाई जनवरी-फरवरी तक जारी रह सकती है। अतः इन क्षेत्राों में इस दौरान फलों से लदे वृक्षों को बांस-बल्ली की सहायता से सहारा देने की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि शाखाओं को टूटने से रोका जा सके। अतः बिक्री की उचित व्यवस्था करें। इस दौरान फलों का भी विकास होता है, अतः सिंचाई की भी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
परंतु ध्यान रहे कि तुड़ाई से 15 दिनों पूर्व सिंचाई रोक दी जाए, ताकि फल समय से तैयार हो सकें। जिन क्षेत्रों में सिंचाई की समुचित व्यवस्था हो, उन क्षेत्रों में बसंत के आगमन के साथ ही पौध रोपण का कार्य फरवरी के दूसरे पखवाड़े से प्रारंभ किया जा सकता है, जोकि मार्च तक जारी रखा जा सकता है। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में शीत ऋतु में पाले की आशंका हो, वहां गंधक के अम्ल (0.1 प्रतिशत) का छिड़काव पूरे वृक्ष पर किया जाना चाहिए। जरूरत पड़े तो छिड़काव को दोहराएं।
फरवरी में फूल आने का समय होता है जो नई पत्तियों के साथ आते हैं, इस समय सिंचाई न करें। आंवला के बाग में गुड़ाई करें एवं थाले बनाएं। आंवला के एक वर्ष के पौधे के लिए 10 कि.ग्रा. गोबर/कम्पोस्ट खाद, 100 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फॉस्फेट व 75 ग्राम पोटाश देना आवश्यक होगा। 10 वर्ष या इससे ऊपर के पौधे में यह मात्रा बढ़ाकर 100 कि.ग्रा. गोबर/कम्पोस्ट खाद, 1 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 500 ग्राम फॉस्फेट व 750 ग्राम पोटाश हो जाएगी। उक्त मात्रा से पूरा फॉस्फोरस, आधी नाइट्रोजन व आधी पोटाश की मात्रा का प्रयोग जनवरी से करें।
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