नर्सरी के पौधों एवं सब्जी वाली फसलों को लो कास्ट पाली टनल में उगाना अच्छा रहता है या पॉलिथीन अथवा पुवाल से ढक देना चाहिए। वायु रोधी बोर की टाटियां को हवा आने वाली दिशा की तरफ से बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाने से शीतलहर व पाले से फसलों को बचाया जा सकता है। पाला पड़ने की संभावना को देखते हुए जरूरत के हिसाब से खेत में हलकी हलकी सिंचाई करते रहना चाहिए। इससे मिट्टी का तापमान कम नहीं होता है।
सरसों, गेहूं, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को शीतलहर व पाले से बचाने के लिए सल्फर (गंधक) का छिड़काव करने से रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है और पाले से बचाव के अलावा पौधे को सल्फर तत्व भी मिल जाता है। सल्फर का पौधों में रोगरोधिता बढ़ाने में और फसल को जल्दी पकाने में भी सहायक होता है। दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिए खेत की मेड़ों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शीशम, बबूल और जामुन आदि लगा देने चाहिए जिससे शीतलहर व पाले से फसल का बचाव होता है।
थोयोयूरिया @ 1 ग्राम प्रति 2 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव कर सकते हैं, और 15 दिनों के बाद छिडक़ाव को दोहराना चाहिए। चूंकि सल्फर (गंधक) से पौधे में गर्मी बनती है अत: घुलनशील सल्फर @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करने से पाले के असर को कम किया जा सकता है। पाला पड़ने की संभावना वाले दिनों में मिट्टी की गुड़ाई या जुताई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से मिट्टी का तापमान कम हो जाता है।
PC : डॉ. एसके सिंह प्रोफेसर सह मुख्य वैज्ञानिक(प्लांट पैथोलॉजी) एसोसिएट डायरेक्टर रीसर्च डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर बिहार
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