मक्के की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु की जानकारी के अलावा जैविक विधि से खेत को तैयार करना भी अति आवश्यक होता है। जैविक विधि से खेत को तैयार करने से खरपतवारो की समस्या भी काफी कम होती है। और बीज का अंकुरण भी बेहतर तरीके से होता है। अगर आप भी करने जा रहे हैं मक्के की जैविक खेती तो खेत तैयार करने की विधि की जानकारी होना अति आवश्यक है। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट में विस्तार से!
मक्के की खेती करने से पहले प्रति एकड़ खेत का चयन करें। फिर पूरे खेत में 5 से 10 टन 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद पूरे खेत में बिखेर कर एक बाहर गहरी जुताई करें। खेत की गहरी जुताई करने के लिए मिट्टी पलटने वाली हल या डिस्क हैरो का इस्तेमाल कर सकते हैं।
फिर मक्के की बुआई करने से पहले मिट्टी को उपचारित करें। मिट्टी उपचारित करने के लिए 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट में 10 किलोग्राम जी सी पावर और एक लीटर जी-एनपीके को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के बाद संध्या के समय प्रति एकड़ खेत में बिखेर कर दो से तीन बार जुताई करें।
जुताई करने के बाद मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें। फिर खेत में 2 से 3 फुट की दूरी पर क्यारियां बना कर बीज की बुआई एक फुट की दूरी पर करें! ध्यान रहे बीज की बुआई करने से पहले प्रति किलोग्राम मक्के के बीज को 10 मिली जी-एनपीके से उपचारित जरूर कर लें। इससे बीज जनित रोगों से निजात मिलती है।
खेत में हमेशा 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद ही मिलाए। खेत में कभी भी कच्ची गोबर का इस्तेमाल न करें। इससे दीमक के पनपने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
प्रति एकड़ मक्के की खेती करने के लिए 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती हैं।
मक्के की बुआई करने के 20 से 25 दिन बाद नाइट्रोजन की आधी मात्रा यानी 25 किलोग्राम और फास्फोरस की आधी मात्रा यानी 15 किलोग्राम एवं पोटाश की आधी मात्रा यानी 10 किलोग्राम आपस में मिलाकर प्रति एकड़ खेत छिड़काव करें। ध्यान रहे खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी बना रहें।
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