मक्के का इस्तेमाल रोटियों से लेकर पॉपकॉर्न, कॉर्नफ्लेक्स, बेबीकॉर्न, आदि कई लाजवाब खाद्य पदार्थ बनाने में किया जाता हैं। इसके अलावा मक्के के कुल उत्पादन का लगभग 65 प्रतिशत मक्का मुर्गियों एवं अन्य पशुओं के आहार में प्रयोग किया जाता है। अगर आप रबी के मौसम में मक्का की जैविक खेती करना चाहते है तो कृषि जागृति के इस पोस्ट से आप खेत तैयार करने की जैविक विधि जान सकते हैं। इसके साथ ही मक्के की फसल से अच्छी उपज एवं उच्च गुणवक्ता की फल प्राप्त करने के लिए आप कृषि जागृति के इस पोस्ट से जैविक खाद एवं जैव उर्वरकों की उचित मात्रा भी जान सकते हैं।
मक्के के खेत की तैयारी एवं जैव उर्वरकों की उचित मात्रा
रबी मक्का की जैविक खेती करने के लिए सबसे पहले प्रति एकड़ खेत का चयन करे। खेत तैयार करने के लिए एक बार गहरी जुताई करे। खेत की गहरी जुताई करने के लिए मिट्टी पलटने वाली हल या डिस्क हैरो का इस्तेमाल करें।
फिर इसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें। मक्के की रोग मुक्त फसल प्राप्त करने के लिए 5 टन 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद को प्रति एकड़ खेत में बिखेर कर मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं।
ध्यान रहे खेत में कभी भी कच्ची गोबर का प्रयोग न करें। क्योंकि कच्ची गोबर में दीमक के पनपने का खतरा बढ़ जाता हैं। प्रति एकड़ मक्के के खेत में 25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 15 किलोग्राम फास्फोरस और 10 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती हैं।
उर्वरक की पहली मात्रा में मिट्टी को उपचारित करने के लिए करें। दूसरी ओर तीसरी उर्वरक की मात्रा खड़ी फसल में छिड़काव कर सिंचाई करने के लिए करें।
मिट्टी उपचार करने के लिए 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी-सी पावर और एक लीटर जी-एनपीके को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय बिखेर कर दो से तीन बार जुताई कर मिट्टी में मिलाएं।
फिर खेत की मिट्टी को भुरभुरी एवं समतल बनाने के लिए जुताई के बाद पाटा लगाएं।
फिर मक्के के बीज की बुआई करने के लिए खेत में 2 से 3 फुट की दूरी पर क्यारियां बनाएं।
फिर सभी क्यारियों पर 7 से 10 इंच की दूरी पर बीज की बुआई करें!
फिर बीज की बुआई 2 से 3 इंच की गहराई में करें।
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