जैविक खेती

मक्के की फसल में लगने वाले जड़ कटुआ किट का प्रबंधन कैसे करें, जैविक विधि से!

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krishijagriti5

मक्के की फसल में लगने वाले जड़ कटुआ किट को कटावर्म भी कहा जाता हैं। मक्के की फसल को इस कीट से भारी क्षति पहुंचती हैं। मक्के की फसल में लगे इस कीट की पहचान, प्रकोप के लक्षण एवं बचाव के जैविक उपाएं जानने के लिए कृषि जागृति के इस पोस्ट को ध्यान से पढ़े और समझे।

जड़ कटुआ किट की पहचान

यह किट मटमैंले से गहरे भूरे रंग के होते हैं।

इन कीटों पर धारिया एवं धब्बे बने होते हैं।

वयस्क कटुआ किट की लंबाई लगभग 1.5 से 2 इंच तक होती है।

जड़ कटुआ किट के प्रकोप के लक्षण

यह किट दिन के समय मिट्टी में छिपे रहते हैं और रात होने पर मक्के के पौधों पर आक्रमण करते हैं।

यह जमीन की सतह से मक्के के पौधों के तने काटते हैं।

यह मक्के के पौधों के सभी भागों को खाने की बजाय तने को काट कर दूसरे पौधों की तरफ बढ़ते हैं।

मक्के की फसल को जड़ कटुआ किट से बचाव के उपाएं

मक्के की बुआई करने से पहले खेत में एक बार गहरी जुताई कर कुछ दिन धूप लगने दें। इससे मिट्टी में मौजूद किट नष्ट हो जाएंगे।

इसके बाद खेत को तैयार करने के लिए मिट्टी को उपचारित करें। इसके लिए आपको 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट में 10 किलोग्राम जी सी पावर और एक लीटर जी-एनपीके को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर संध्या के समय प्रति एकड़ खेत में बिखेर कर जुताई करें।

खेत में खरपतवार न पनपने दे एवं खेत की नियमित साफ सफाई करे।

मक्के की फसल में जड़ कटुआ किट को लगने से बचाने के लिए 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।

यदि संभव हो तो जिस पौधे को कटुआ किट ने काटा है उस पौधे के यहां मिट्टी खोदे और किट को बाहर निकाल कर नष्ट कर दे।

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