हम सभी जानते हैं कि मक्के के विभिन्न किस्मों के फसल तैयार होने की अवधि भी अलग अलग होती हैं। मक्के की कई प्रजातियों के फसल तैयार होने में लगभग अधिक समय लगता है। वही कई ऐसी भी मक्के की प्रजातियां भी है जिनकी फासले जल्दी तैयार हो जाती है। मक्के की फसल तैयार होने के बाद सबसे अहम और महत्वपूर्ण कार्य है फसलों की कटाई, गहाई, और उनका भंडारण है।
मक्के की फसल को पकने के बाद मक्के के दानों का रंग पीला हो जाता है। दानों के साथ मक्के को ढकने वाले पत्तो का रंग भी पीला होने लगता है। यह सही समय होता है इसकी फसलों की कटाई करना।
मक्के की दो तरह से कटाई की जाती हैं। पहले खेत से पौधों को कटा जाता हैं। दूसरे मक्के की खड़ी फसल से ही फलों की तुडाई किया जाता है। फिर बाद में पौधो को काट लिया जाता है। पौधों की कटाई के बाद मक्के को पौधों से काट कर अलग किया जाता हैं।
मक्के को कुछ दिन तक धूप में सुखाना जरूरी है। दाने सूखने के बाद ही उसे थ्रेसर से निकाला चाहिए। पौधों से मक्के को अलग करने के बाद किसान पौधों को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप दानों का भंडारण करना चाहते हैं तो पहले दानों को धूप में अच्छी तरह सुखा लें। इतना ध्यान रहे की मक्के में कोई नमी ना रहे।
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