उड़द दाल की फसल भारत देश की एक प्रमुख दलहनी फसल है। इसका वनस्पतिक नाम विग्ना मुंगी कौमा कुल लेग्युमिनेसी है। इसकी खेती मुख्यतः खरीफ में की जाती है। हमारे देश में उड़द दाल का उपयोग मुख्य रूप से दाल के लिए किया जाता है। दैनिक आहार में उड़द दाल का एक महत्वपूर्ण स्थान है। जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, फाइबर, कैल्शियम व विटामिंस बी कॉम्पलेक्स बहुतायत मात्रा में पाया जाता है।
उड़द फसल की अगर सही से देखभाल न किया जाए तो इसमें पत्ती मरोडिया मोड़क किट, चूसक, एफिड, सफेद मक्खी, एंथ्रोसेनोस, पाऊडरी मिल्डयू, पिला मोजैक समेत कई प्रकार के रोग लगने की संभावना रहती है।
उड़द की प्रमुख किस्में एवं बुवाई का सही समय
भारत में उड़द दाल की प्रमुख किस्में KU-99-21, KU-309, AKU-15 उगाई जाती हैं। इसके अलावा उड़द फसल की बुवाई मुख्यतः फरवरी से लेकर जून माह के बीच में की जाती हैं।
गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों के साथ रोग मुक्त उड़द फसल की जैविक खेती
उड़द फसल की जैविक खेती करने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करने के लिए 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट में एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट तक हवा लगने के बाद प्रति एकड़ खेत में बिखेर दें। नोट ये कार्य पहले खेत की दो जुताई कर के कुछ दिनों के लिए खेत को खुला छोड़ कर करें।
बुवाई के समय एक लीटर जी-एनपीके, एक लीटर जी-पोटाश, 10 किलोग्राम जी-सी पावर या जी-प्रोम एडवांस प्रति एकड़ खेत में बुवाई से पहले या बुवाई के बाद पहली सिंचाई के समय छिड़काव करें।
उड़द फसल के विकास की अवस्था पर बुआई के 30 से 45 दिनों के बाद उड़द की फसल पर 4 से 8 किलोग्राम जी-वैम, 10 किलोग्राम जी-सी पावर या जी-प्रोम एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 25 किलोग्राम यूरिया के साथ प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। चिंचाइ करने से पहले या बाद में।
जब उड़द की फसल में फूल आने पर 100 मिली जी-अमीनो प्लस, 100 मिली जी-बायो ह्यूमिक को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।
जब उड़द की फसल में फूलों से दाने बनने के समय पर 10 से 15 एमएल जी-सी लिक्विड को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर कम तापमान में स्प्रे करें। ध्यान रहे किसी भी रासायनिक कीटनाशकों व उर्वरकों के साथ जी-बायो फॉस्फेट एडवांस और जी पोटाश को मिलाकर इस्तेमाल न करें।
इन जैव उर्वरकों का इस्तेमाल करने के लाभ एवं बचाव
- मिट्टी जनित रोग नहीं पनप पाते हैं।
- पौधों के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
- जड़ों में फुटाव व जड़ों को गहराई तक ले जाने में मदद करते हैं तथा जड़ों के विकास में सहायक है।
- फूलों की संख्या को बढ़ाने में व दानों की संख्या को बढ़ाने तथा उनकी क्वालिटी को बेहतर बनाने में सहायक हैं।
Not: गैलवे कृषम के सभी जैविक उत्पाद की खासियत यह है कि ये ईको फ्रेंडली हैं और मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों तथा पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं।
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