गैलवे कृषम

गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों के साथ रोग मुक्त टमाटर की बेहतरीन फसल कैसे प्राप्त करें!

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krishijagriti5

टमाटर विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग में लाएं जाने वाली सब्जी है। टमाटर में कार्बोहाईड्रेट, विटामिन, कैल्शियम, आयरन तथा अन्य लवण प्रचुर मात्रा में उपस्थित रहते हैं। भारत में टमाटर की खेती राजस्थान, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में प्रमुख रूप से की जाती हैं। आजकल तो 12 महीने बाजार में टमाटर का बिक्री होती है। इस लिहाज से टमाटर की खेती लाभ का सौदा साबित हो रही हैं।

टमाटर की प्रमुख किस्में: भारत में टमाटर की प्रमुख किस्में जैसे स्वीट-72, पूसा गौरव, पंजाब केसरी, VO-3, पूसा सदाबहार, पूसा अर्लिड्रवार्फ आदि उगाई जाती है।

गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों के साथ टमाटर की जैविक खेती

इसकी जैविक खेती के लिए सबसे पहले मिट्टी को उपचारित करना जरूरी होता है। इसके लिए प्रति एकड़ खेत में 200 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट में 10 किलोग्राम जी-सी पावर और 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस में एक लीटर जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट तक हवा लगने के बाद पूरे खेत में बिखेर दें।

इसके बाद बीज उपचार करने के लिए 5 से 10 एमएल जी-पोटाश में टमाटर के एक किलोग्राम बीज में मिलाकर कर 30 मिनट तक छाया में सुखा कर बुवाई करें।

टमाटर के पौधे के जड़ों को उपचारित करने के लिए 5 से 10 एमएल जी-पोटाश को प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधे की जड़ों को 30 मिनट तक डुबो का रखे। फिर निकाल कर मुख्य खेत में रोपाई करें।

पौध की बुवाई के बाद 10 किलोग्राम जी-सी पावर या 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस में 25 किलोग्राम यूरिया और 15 किलोग्राम डीएपी को मिलाकर कर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर सिंचाई करें। फिर सिंचाई करने के 10 दिन बाद 15 मिली जी-अमीनो प्लस को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें।

फिर टमाटर के पौधों में फूल आने से पहले या फूल बनते समय 20 एमएल जी बायो ह्यूमिक को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें।

फिर टमाटर के पौधों में फल बनते समय 10 एमएल जी-अमीनो प्लस और 10 एमएल जी-सी लिक्विड को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें।

हमारे किसान भाइयों अगर टमाटर की फसल करते समय अगर इसकी सही से देखभाल न की जाएं तो इसमें कई प्रकार के किट व रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। जैसे कमर तोड़, पूर्ण चित्ती, पत्ता मोड़क, उकड़ा विषाणु, कली गलन, अगेती झुलसा, पछेति अंगमारी आदि। इसलिए हमारे द्वारा बताई गई टमाटर की जैविक खेती को करें। इस तरह से खेती करने पर टमाटर के फसल में रोग व किट लगने की संभावना कम रहती है।

Not: गैलवे कृषम के सभी जैविक उत्पाद की खासियत यह है कि ये ईको फ्रेंडली हैं और मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों तथा पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं।

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