गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करके आप न सिर्फ मक्के की फसल को बीमारियों से बचा सकते हैं बल्की इसकी उत्पादकता को भी बढ़ाकर अपने खेतों के साथ-साथ अपने जीवन में भी संपन्नता की बहार ला सकते हैं। भारत में मक्का एक प्रमुख खाद्य फसल है जो मुख्यतः मोटे अनाजों की श्रेणी में गिना जाता है। मक्के को भुट्टे के रूप में भी जाना जाता है। भारत में मक्के की प्रमुख किस्में है जैसे जेसी-2, प्रभाव, केसरी, प्रकाश, पंजाब-स्वीट कॉर्न को भारत में ज्यादा उगाया जाता हैं।
मक्के को सभी तरह की मिट्टियों में उगाया जा सकता है तथा बलुई व दोमट मिट्टी मक्के की जैविक खेती करने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। मक्का एक ऐसा खाद्यान्न है जो मोटे अनाज की श्रेणी में आता है। परंतु इसकी पैदावार पिछले दशकों में भारत में एक महत्वपूर्ण फसल के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है क्योंकि यह फसल सभी मोटे व प्रमुख खाद्यान्नों की बढ़ोतरी दर में सबसे अग्रणी हैं।
मक्के की बुवाई मई के आखरी सप्ताह से जून के अंत तक की जाती है। मक्के की बुवाई के समय इसके बीज व खेत की मिट्टी को सही तरीके से उपचारित न किया जाए तो मक्के की फसल में लीफ स्पॉट, रूट रॉट, चारकोल रॉट, स्टक रॉट, होलक्स स्पॉट जैसे कई रोग लग सकते हैं। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस में कि किस तरह से आप गैलवे कृषम के जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करके मक्के की फसल से बेहतर पैदावार और भी अधिक सुरक्षित व आसान तरीके से ले सकते हैं।
मक्के की बुवाई के समय मिट्टी उपचार के लिए 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 25 किलोग्राम डीएपी, 35 किलोग्राम सुपर फॉस्फेट और 10 किलोग्राम जी-सी पावर या जी प्रोम एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय बिखेर कर जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी एवं समतल बना बुआई करें।
जब मक्के के पौधे 30 से 35 दिन के हो जाए तो 25 किलोग्राम यूरिया में 10 किलोग्राम जी-सी पावर मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय छिड़काव करें।
इसके बाद जब मक्के की फसल 40 से 45 दिन की हो जाए तो फसल पर एक लीटर जी-एनपीके को 150 लीटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।
मक्के की 70 दिन की फसल होने पर 200 एमएल जी-सी लिक्विड, 200 एमएल जी-बायो ह्युमिक को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में ठंडे वातावरण में स्प्रे करें।
वही मक्के की 85 दिन की फसल होने पर 200 एमएल जी-अमीनो प्लस को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।
हमारे किसान भाइयों, बताए गए उपयुक्त विधि से अगर मक्के की खेती करते हैं तो ये विधि मिट्टी को नर्म बनाए रखती हैं और पौधे की जड़ों को मजबूती प्रदान करती हैं। ये पौधे के विकास के लिए भी काफी प्रभावी होती है। फिलहाल इस तरह से आप गैलवे कृषम के बेहतरीन व शानदार जैविक उत्पादों का इस्तेमाल करके न सिर्फ अपने मक्के की फसल को बीमारियों से बचा सकते हैं बल्की इससे फसल के उत्पादकता को भी पहले के मुकाबले काफी बढ़ा सकते हैं।
Not: गैलवे कृषम के सभी जैविक उत्पाद की खासियत यह है कि ये ईको फ्रेंडली हैं और मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों तथा पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं।
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