जैविक खेती

बाजरे की जैविक खेती के लिए बुवाई, जुताई एवं सिंचाई और देखभाल कैसे करें!

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krishijagriti5

बाजरा खरीफ सीजन की एक महत्वपूर्ण फसल है। बाजरे की जैविक खेती की सबसे बड़ी विशेषता ये हैं कि इसमें कम पानी की आवश्यकता होती है और ये फसल अधिक तापमान को भी सहने की क्षमता रखती है, तो चलिए जानते है कृषि जागृति के इस पोस्ट में की कैसे बाजरे की जैविक खेती करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है।

बुवाई का सही समय एवं सही तरीका

हमारे किसान भाइयों को बाजरे की जैविक बुवाई करने के लिए पहली बारिश के मौसम में कर देनी चाहिए। अगर बारिश नहीं हुई है तो खेत में पानी लगा कर इसकी बुवाई कर सकते है। इसकी बुवाई के लिए मई से जून का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है।

बाजरे की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

बाजरे की जैविक खेती के लिए रेतीली बलुई मिट्टी की जरुरत पड़ती है लेकिन आज के समय में इसकी खेती सभी तरह की मिटटी में की जा सकती है। इसकी खेती करते समय यह ध्यान रखें की खेत में ज्यादा पानी नहीं लगना चाहिए।इससे पौधों में रोग लगने की सम्भावना ज्यादा बढ़ जाती है।

बाजरे की जैविक खेती के लिए जलवायु और उच्चित तापमान

अगर इसकी जैविक खेती के लिए जलवायु और उच्चित तापमान की बात करें तो इसकी जैविक बुवाई के लिए शुष्क और अर्धशुष्क जलवायु वाला मौसम होना चाहिए। बाजरे की जैविक के लिए 25 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है। जब पौधा विकास करने लगें तब इसे 30 से 35 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है। लेकिन इसकी पैदावर के लिए 40 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है

बाजरे की जैविक बुवाई के लिए खेत की तैयारी कैसे करें

सबसे पहले हमारे किसान भाई अपने खेत की अच्छी तरह से एक से दो बार गहरी जुताई करें।खेत की जुताई करने के बाद आप खेत में मिट्टी उपचार करने के लिए 100 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट व राख में 10 किलोग्राम जी-सी पावर प्रयोग और 10 किलोग्राम जी प्रोम एडवांस के साथ 700 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर प्रति एकड़ खेत मे संध्या के समय पूरे खेत में बिखेर कर एक से दो बार जुताई करा कर खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। फिर इसके बाद ही बीज को उपचारित करके बुवाई करें। इससे फसल अच्छी होगी और रोग मुक्त रहेगी।

बाजरे की जैविक बुवाई कैसे करें

बाजरे की जैविक बुवाई भारत में दो तरीके से कर सकते है। पहला बीज को किसी जैविक कीटनाशक से उपचारित करके खेत में छिड़ककर हल्की जुताई करके मिट्टी में मिलाया जाता है। इसकी जुताई इस हिसाब से करें की बीज जमीन के अंदर चली जाए।

हमारे किसान भाई बाजरे की जैविक बुवाई की दूसरी विधि बीजों को किसी जैविक कीटनाशक से उपचारित करके मशीनों के द्वारा बोया जाता है। इसमें बीजों को कतारों में लगाया जाता है और सभी कतारों में एक से दो फिट की दूरी होनी चाहिए। इस तरीके में भी बीजों को सिर्फ डेढ़ से दो सेमी की गहराई में ही लगाया जाता है।

बाजरे की जैविक फसल की उच्चित सिंचाई

बाजरे की जैविक खेती के लिए किसानों को अधिक सिचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि बाजरे की पूरी फसल बारिश के पर ही निर्भर होती है। इसलिए हमारे किसान भाइयों बजारे के फसल की बुवाई करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए की अगर बारिश ज्यादा समय तक न हों तो फसल की सिचाई कर देनी चाहिए। अगर इसके कुछ समय बाद भी बारिश न हो तो फसल के आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए ।

बाजरे की जैविक फसल की कटाई

बाजरे की जैविक फसल की कटाई के लिए 70 से 80 दिन में तैयार हो जाती है। जब बाजरे का दाना कठोर हो जाएं और भूरा दिखाई पड़नें लगें तब इसकी कटाई कर देनी चाहिए। इसकी कटाई भी दो तरीके से की जाती है, पहली कटाई में हम पौधे को काटते है और दूसरी कटाई में सिट्टे को काटकर अलग कर दिया जाता है। आप इसे काटकर सूखा लें उसके बाद अपने जानवरों को खानें के लिए दे सकते है।

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