मक्के की खेती रबी और खरीफ दोनो ही मौसमों में की जाती है। भारत में अनाजों के पैदावार में मक्के का तीसरा स्थान है प्राप्त है।कर्नाटक, बिहार, उतर प्रदेश, झारखंड, गुजरात मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, में इसकी प्रमुखता से खेती की जाती हैं। यदि आप भी रबी मक्का की उन्नत खेती करना चाहते हैं तो कृषि जागृति के इस पोस्ट से मक्के की जैविक बुआई से जुड़ी सभी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं।
मक्के की जैविक बुआई का उचित समय
रबी मक्का की उन्नत खेती करने के लिए सितंबर और अक्टूबर का महीना सबसे सर्वोत्तम होता है। इसके अलावा नवंबर माह के मध्य तक इसकी बुआई की जा सकती है।
मक्के की जैविक बुआई के लिए बीज की मात्रा एवं बीज उपचार
प्रति एकड़ खेत में मक्के की जैविक बुआई करने के लिए लगभग 5 से 7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
मक्के की फसल को विभिन्न रोगों व कीटों से बचाने के लिए 150 लीटर पानी में एक लीटर जी एनपीके को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन के बाद पुनः स्प्रे करें।
इसके अलावा प्रति किलोग्राम मक्के के बीज को 10 मिली जी एनपीके को मिलाकर उपचारित कर 15 से 20 मिनट हवा लगने के बाद मुख्य खेत में बुआई करें।
मक्के की उन्नत खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
रबी मक्का के उन्नत खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती हैं। इसके अलावा भारी या रेतीली मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती हैं। मक्के की बेहतर पैदावार प्राप्त करें के लिए मिट्टी का पी एच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
मक्के की खेत की तैयारी एवं उर्वरक की मात्रा
खरीफ फसलों की कटाई करने के बाद खेत में 5 से 10 टन 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद बिखेर कर एक गहरी जुताई करके हवा लगने दें। खेत की गहरी जुताई करने के लिए मिट्टी पलटने वाली हल या डिस्क हैरो का प्रयोग कर सकते हैं या प्लाओ भी करा सकते हैं।
मक्के की रोग मुक्त अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए सबसे पहले मिट्टी को उपचारित करें। मिट्टी उपचारित करने के लिए 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी सी पावर और एक लीटर जी-एनपीके को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर संध्या के समय प्रति एकड़ खेत बिखेर कर दो से तीन बार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी व समतल बना कर बुआई करें।
मक्के की बुआई करने के 25 से 30 दिन बाद 25 किलोग्राम और 15 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट में 10 किलोग्राम जी-प्रोम एडवांस या जी-सी पावर को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में लगाएं गए मक्के के पौधो के जड़ों के आस-पास डाले या छिड़काव करें।
मक्के की बीज की बुआई करने के लिए प्रति एकड़ खेत डेढ़ से दो मीटर की दूरी पर क्यारियां बना कर तैयार करें और बीज की बुआई 20 सेंटीमीट की दूरी पर एवं गहराई 2 से 3 इंच पर करें।
मक्के की फसल में उच्चित सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण
रबी मक्का की फसल में कुल 4 से 5 सिंचाई की आवश्यकता होती है। रबी मक्के की फसल में नमी की कमी न होने दे एवं जल जमाव की समस्या से बचने के लिए जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
मक्के की फसल में खरपतवार पर नियंत्रण के लिए कुछ समय के अंतराल पर निरंतर निराई-गुड़ाई करते रहे। निराई-गुड़ाई के समय इस बात का आवश्य ध्यान रखें कि खरपतवार को काटकर हटाने की जगह जड़ से निकाले। या किसी मिनी टूल्स का इस्तेमाल कर निराई गुड़ाई कर सकते हैं। जैसा कि आप हमारे फेसबुक रील पर देखते होंगे।
मक्के की कटाई एवं पैदावार
जब भुट्टे के ऊपर की परते सूखने लगे तब मक्के की कटाई कर लेनी चाहिए। मक्के की पैदावार उसकी विभिन्न किस्मों पर भी निर्भर करता है। आमतौर पर प्रति एकड़ खेत से 30 से 40 क्विंटल फसल की पैदावार प्राप्त हो सकती है।
यह भी पढ़े: मक्के की फसल में उग रहे खरपतवारों को इस तरह करे जैविक विधि से नियंत्रण!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद