भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु आदि कई अन्य राज्य भी ऐसे है जहां धान की खेती की जाती हैं। भोजन के रूप में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला चावल इसी से प्राप्त किया जाता है। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अधिकांश देशों में मुख्य खाद्य फसल के रूप में धान का उपयोग किया जाता है। विश्व में धान के उत्पादन में भारत का स्थान चीन के बाद दूसरे नंबर पर हैं।
भारत में धान की खेती: भारत में धान की खेती मुख्यत: जून के मध्य से जुलाई के पहले सप्ताह तक की जाती है। भारत में पूसा-1460, पूसा सुगंध 4, आईआर 64, आईआर 36, सहभागी 2011, कोरह 02 जैसी कई धान की प्रजातियों की फसल उगाई जाती है।
धान की बुवाई करने के लिए गर्मियों में कल्टीवेटर से दो से तीन बार खेत की जुताई करें और ढेलों को फोड़कर उसे समतल करें तथा छोटी-छोटी मेडबंदी करके खेत तैयार करें। फिर इसके बाद इसमें मिट्टी के उपचार के लिए 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद में 1 लीटर जी-बायो फास्फेट या जी-डर्मा प्लस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में बिखेर दें। धान की फसल के लिए मध्य काली मिट्टी एवं दोमट मिट्टी ज्यादा उपयुक्त होती है।
बीज उपचार करना: धान की बीच उपचार के लिए 1 लीटर पानी में 10 मिली. जी-डर्मा या जी-बायो फास्फेट एडवांस को लेकर प्रति किलोग्राम धान के बीज को उपचारित करें।
धान की जैविक नर्सरी तैयार कर करना: आम तौर पर संकर धान की प्रजाति की नर्सरी 21 दिन एवं अन्य धान की प्रजातियों की नर्सरी 25 दिन पहले तैयार हो जाती हैं। मई-जून की पहली वर्षा के बाद धान की जैविक नर्सरी के लिए चुने हुए खेत में पारा चलाकर जमीन को समतल कर लेना चाहिए। पौध तैयार करने के लिए 2 से 3 सेमी. पानी भरकर 2 से 3 बार जुताई कर लेनी चाहिए एवं पौध तैयार करने के लिए 1.25 मीटर चौड़ी और 8 मीटर लंबी क्यारी बना लें।
धान के पौधे का रोपण: सामान्य तौर पर 2 से 3 सप्ताह के पौध रोपाई के लिए सही माने जाते हैं। वैसे एक जगह पर 2 से 3 पौध को लगाना सही होता है लेकिन अगर रोपाई में देरी हो जाए तो एक जगह 4 से 5 पौध को लगाना चाहिए। धान की रोपाई के लिए पौध को उपचारित कर लेना चाहिए। इसके लिए 500 लीटर पानी में 1 लीटर जी-डर्मा प्लस या जी-बायो फास्टफेट एडवांस को मिलाएं एवं उस घोल में 10 से 15 मिनट के लिए पौध जी जड़ों को उपचारित करें। ऐसा करने से धान की फसल का उत्पादन बिना किसी रोग के अच्छा होता हैं।
Not: गैलवे कृषम के सभी जैविक उत्पाद की खासियत यह है कि ये ईको फ्रेंडली हैं और मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों तथा पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं।
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