देश में रबी सीजन में मुख्यतः गेहूं की खेती की जाती है परंतु गेहूं ज़्यादातर पूरी तरह सिंचित परिस्थितियों में उगाया जाता है। देश के उत्तर पश्चिमी राज्यों के कई क्षेत्र जैसे पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पश्चिमी हरियाणा के क्षेत्र सिंचाई के लिए पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में किसान कम सिंचाई में ही गेहूं की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के द्वारा गेहूं की नई किस्म उच्च उपज देने वाली एवं कीट रोगों के प्रति सहनशील किस्में विकसित की हैं।
भारत के उत्तर–पश्चिम मैदानी इलाकों के लिए विकसित गेहूं की नई किस्में उच्च उत्पादन क्षमता होने के अलावा, रोग प्रतिरोधी और अंतिम आवधिक गर्मी के प्रति सहनशील होनी चाहिए। गेहूं में अंतिम आवधिक हीट स्ट्रैस तब होता है, जब दाना भरने की अवस्था के दौरान औसत तापमान 31 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है। इसके अलावा गेहूं की किस्म को किसान के खेत में बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए। गेहूं की नई किस्म DVW-296 एक ऐसी ही किस्म है जो कम पानी में भी अच्छी उपज देती है। यह किस्म (150 दिनों) देर से पकने वाली किस्मों में जाना जाता है तथा अन्य गेहूं से ज्यादा उत्पादन क्षमता भी दर्ज किया है।
गेहूं की यह किस्म भारत के उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में सीमित सिंचाई के तहत समय पर बुआई के लिए उपयुक्त है। किसान इस किस्म की बुवाई 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक कर सकते हैं। गेहूं की बुवाई सीड ड्रिल से करने पर अच्छी उपज प्राप्त होती है। इसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 से.मी. रखी जानी चाहिए। किसान इस किस्म की बुआई के लिए बीज दर 30 से 35 किलोग्राम प्रति एकड़ खेत के लिए रख सकते हैं।
डीबीडब्ल्यू गेहूं की सिंचाई दो बार किया जाना जरुरी है। पहली सिंचाई बुवाई से पहले और एक सिंचाई बुआई के 45 से 50 दिनों बाद कर सकते हैं। बीज उपचार एवं मिट्टी उपचार जरूर करें। गेहूं की यह किस्म कई प्रकार के रोगों के प्रति प्रतिरोधक है। इसके बावजूद प्रणालीगत और संपर्क कवकनाशी के बचाव के लिए किसान गेहूं के बीज को जैविक कीटनाशक जी-बायो फॉस्फेट एडवांस से प्रति किलोग्राम गेहूं के बीज में 10 मिली डाल कर उपचारित करें।
इससे पहले आप अपनी खेत की मिट्टी को उपचारित करें। इसके लिए आपको 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर के साथ जी-सी पावर, जी-प्रोम एडवांस, एक लीटर जी बायो फॉस्फेट मिलाकर प्रति एकड़ खेत में बिखेर दें। सिमित सिंचाई के अंतर्गत सर्वश्रेठ प्रदर्शन के लिए 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट के साथ जी प्रोम-एडवांस, जी-सी पावर को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें कब जब फसल 45 से 50 दिन की हो जाएं।
फसल की अच्छे उत्पादन के लिए खरपतवार का नियंत्रण जरुरी है। खरपतवार के नियंत्रण के लिए यह जरुरी है कि उनकी पहचान समय पर की जाए। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए 2,4-डी/150 ग्राम प्रति एकड़ या मेट्सल्फूराँन 2 ग्राम प्रति एकड़ या कारफेंट्राजोन/5 ग्राम प्रति एकड़ लगभग 75 लीटर पानी प्रति एकड़ का उपयोग करके छिडकाव किया जा सकता है।
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