कृषि जागृति संदेश

सरसों की फसल में लगने वाले इन कीटों पर ऐसे करे नियंत्रण

Published by
krishijagriti5

सरसों की फसल में रस चूसक कीटों का प्रकोप सबसे अधिक होता है। जिससे लगभग 50 से 60 प्रतिशत फसल नष्ट हो सकती है। रस चूसने वाले कीड़ों का भी फसल की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। समय रहते इन कीटों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। यहां से आप सरसों की फसल के कुछ प्रमुख रस चूसक कीटों की पहचान, उनसे होने वाले नुकसान और रोकथाम के तरीके देख सकते हैं।

एफिड: इस कीट को विभिन्न क्षेत्रों में चोपा या अल के नाम से भी जाना जाता है। हल्के हरे-पीले रंग के इस कीट की लंबाई 1 से 1.5 मिमी होती है। ऐसे कीट पत्तियों और फूलों की टहनियों की निचली सतह पर समूहों में पाए जाते हैं। ये पौधों के विभिन्न भागों से रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके प्रकोप को कम करने के लिए कीट से प्रभावित पत्तियों, फूलों और शाखाओं को तोड़कर नष्ट कर दें। प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड मिलाकर छिड़काव करने से एफिड कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

धौलिया कीट: काले रंग के इस कीट पर लाल, पीले और नारंगी रंग के धब्बे होते हैं। ये कीट फसल के उगने के तुरंत बाद और कटाई के समय फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। ये पौधे के विभिन्न भागों से रस चूसते हैं जिससे पत्तियां किनारों पर सफेद दिखाई देने लगती हैं। ये कीट फलियों से रस चूसते हैं तथा दानों में तेल की मात्रा कम कर देते हैं। इसके प्रकोप को कम करने के लिए सरसों की फसल में सिंचाई करें। सिंचाई करने से यह कीट तथा इसके अंडे नष्ट हो जाते हैं। बुआई से पहले बीज को 5 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करें। प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में 200 मिलीलीटर मैलाथियान 50 ईसी मिलाकर छिड़काव करने से इस कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

यह भी पढ़े: गेहूं की इस किस्म को नहीं है ज्यादा पानी की जरूरत बस बुवाई कर उपज पाएं

जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद

Share