मक्के की फसल को नुकसान पहुंचाने वालें विभिन्न कीटो में से एक गुलाबी तना छेदक किट भी शामिल हैं। मक्के की फसल में लगे इस कीट के प्रकोप के कारण भारी नुकसान होता हैं। मक्के के अलावा ये कीट से गेंहू, धान, आदि फसलों को भी प्रभावित करते है। लेकिन कृषि जागृति के इस पोस्ट के माध्यम से आप गुलाबी तना छेदक किट की पहचान और इससे होने वाले मक्के की फसल को नुकसान एवं बचाव के जैविक उपाएं जान सकते हैं।
यह किट गुलाबी रंग के होते हैं। और यह किट मुख्यत: मक्के के नए या छोटे पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं।
इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधों के तनों में छेद करते हैं। और यह पौधों के मुख्य तने को नुकसान पहुंचाते हैं।
ज्यादा प्रकोप बढ़ने पर मक्के के बड़े या छोटे पौधे मरने लगते हैं।
इस किट को आकर्षित करने के लिए ज्वार , बाजरा जैसी फसलों को मक्के के खेत में चारो तरफ 2 से 3 लाइनों में धारियां दे।
रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरकों का प्रयोग संतुलित मात्रा में करे। हो सके तो जैव उर्वरकों का इस्तेमाल करें।
मक्के की फसल में लगे इस कीट को नियंत्रण करने के लिए प्रति एकड़ में 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-एनपीके को मिलाकर संध्या के समय स्प्रे करें।
इसके अलावा 150 लीटर पानी में एक लीटर जी डर्मा प्लस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय स्प्रे करें। ये कार्य किट लगने के प्रारंभिक अवस्था में ही करे तो बेहतर होगा।
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हमे उम्मीद है कृषि जागृति के इस पोस्ट में बताई गई जैविक दवाओं का प्रयोग करके आप अपनी मक्के की फसल में लगे गुलाबी तना छेदक किट के प्रकोप से मक्के के पौधो को बचा सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इस जानकारी को अन्य किसान मित्रो के साथ भी साझा करे। मक्के की खेती से जुडे आपने सवाल हमसे WhatsApp के माध्यम से पूछ सकते हैं।