मक्के की फसल में कई तरह के किट का आक्रमण का खतरा बना रहता है। कुछ रिपोट्स के अनुसार इस साल एक नए किट के हमले की आशंका जताई जा रही है। जिसे फॉल आर्मी वर्क किट के नाम से जाना जाता हैं। दक्षिण भारत में रबी मौसम में खेती की जाने वाली मक्के की फसल में इस कीट का प्रोकोप देखा गया है। फॉल आर्मी वर्क किट और इस कीट से बचने के जैविक उपाएं की जानकारी कृषि जागृति के इस पोस्ट से प्राप्त कर सकते हैं।
यह बहु भक्षी किट तम्बाकू की इल्लियों के परिवार का है। टिड्डियों की तरह यह भी फसल को पूरी तरह नष्ट कर सकता है। वयस्क मादा किट एक बार में 50 से 200 अंडे देती हैं। एक मादा आपने जीवन काल में 10 बार अंडे देती है। और एक मादा अपने जीवन काल में लगभग 1700 से 2000 अंडे दे सकती हैं। इससे आप इनके बढ़ने का अंदाजा लगा सकते हैं। 3 से 4 दिनों बाद अंडो में से लार्वा निकलते हैं। लार्वा को प्यूपा बनने में 15 से 20 दिन का समय लगता है। प्युपा बनने के लगभग 10 से 15 दिन बाद यह वयस्क हो जाते हैं। इस कीट का जीवन चक्र 30 से 60 दिनों तक होता हैं।
वर्ष 2015 में पहली बार अमेरिका में यह किट पाया गया था। वर्ष 2017 के आखिर तक इस कीट ने लगभग 44 अफ्रीकी देशों में फसलों पर अपना कहर बरसाया। मई 2018 में भारत के कर्नाटक में इसे देखा गया। इसके बाद इस कीट ने बेंगलुरु, हसन, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उतर प्रदेश और बिहार में भी देखा गया। यह किट प्रति दिन 100 किलोमीटर तक यात्रा कर सकते हैं।
इस कीट का लार्वा मक्के की पत्तियों को खुरचकर खाते हैं। जिससे पत्तियों पर सफेद रंग की धारिया बनाने लगती है। बड़े होने के साथ यह किट पत्तियों के ऊपरी हिस्सो के साथ मक्के और उसे ढकने वाली पत्तियों को भी खा कर फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं।
मक्के की फसल को इस किट के लगने से बचाने के लिए अंडो के समूह को नष्ट कर दे। मक्के की प्रति एकड़ खेत में 5 से 7 फेरोमन ट्रैप को लगने से भी कुछ हद तक इस किट को नियंत्रित किया जा सकता हैं।
प्युपा को वयस्क होने से रोकने के लिए 150 लीटर पानी में एक लीटर जी-एनपीके को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन के बाद पुनः स्प्रे करें। इसके अलावा आप 150 लीटर पानी में एक लीटर जी डर्मा प्लस को मिलाकर भी प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय स्प्रे कर सकते हैं।
मक्के की बुआई करने से पहले 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी-सी पावर और एक लीटर जी-एनपीके को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में बिखेर कर अच्छी तरह जुताई करा कर मिट्टी को भुरभुरी व समतल बना लें। फिर मक्के के बीज को 10 मिली जी-एनपीके को प्रति किलोग्राम बीज में मिलाकर उपचारित कर बुआई करें। ऐसा करने से आप मिट्टी जनित और बीज जनित रोगों व कीटों से बचा जा सकता हैं।
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