जाड़े के मौसम में आम के नए बागों के पौधों को पाले से बचाना अति आवश्यक है। जनवरी में नर्सरी में लगे पौधों को पाले से सुरक्षा के लिए घास फूस या पुआल से बने छप्पर से ढककर छोटे पौधों को बचाना चाहिए। पाले से बचाव के लिए बाग में समय-समय पर हल्की सिंचाई भी करते रहना चाहिए। बागों की निराई-गुड़ाई एवं सफाई भी करते रहना चाहिए। आम के बड़े पेड़ों में जिसमे बौर आने वाले हो विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। इन्हीं पर फलोत्पादन निर्भर करेगा।
जनवरी के प्रथम सप्ताह में आने वाले बौर में फल नहीं लगते और ये अक्सर गुच्छे का रूप धारण कर लेते हैं। अतः ऐसे बौर को काटकर नष्ट कर देना चाहिए। आम में उर्वरक देने का यह सही समय जून से लेकर 15 सितंबर तक है। इस समय 10 वर्ष या 10 वर्ष से बड़े आम के पेड़ों में नाइट्रोजन 500 ग्राम, फॉस्फोरस 500 ग्राम तथा पोटाश 750 ग्राम प्रति पौधा तत्व के रूप में प्रयोग करें। इन्हें मिट्टी में मिलाकर हल्की सिंचाई कर दें। बागों की निराई-गुड़ाई एवं सफाई का कार्य करें।
दिसंबर के अंत में बाग की ऊपरी सतह की बहुत हल्की गुड़ाई करके खर पतवार मुक्त करने के बाद आम के बाग में मीलीबग (गुजिया) के बचाव के लिए आम के तने पर पॉलीथीन की 2.5 से लेकर 3 फुट चौड़ी पट्टी बांध दें एवं 250 ग्राम प्रति वृक्ष की दर से क्लोरपॉयरीफॉस धूल प्रति पेड़ कैनोपी के अनुसार पेड़ के चारों ओर की मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसके अतिरिक्त, भूमि की सतह पर परभक्षी ब्यूवेरिया बेसियाना (2 ग्राम प्रति लीटर, 1×10 पावर 7 बीजाणु प्रति मिलीलीटर अथवा 5 प्रतिशत नीम बीज के गिरी सतत् का प्रयोग प्रौढ़ कीटों को मारने के लिए करें।
फरवरी में पेड़ के चारों तरफ खूब अच्छी तरह से निराई गुड़ाई करें। मैंगो हॉपर (फुदका )के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड की 1 मिली लीटर दवा को प्रति दो लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें तथा चूर्णिल आसिता रोग से बचाव के लिए केराथेन नामक फफुंदनाशक की 1 मिलीलीटर को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव फरवरी के अंतिम सप्ताह में अवश्य करें।
तापमान कम होने की वजह से यदि मंजर कम निकल रहा हो तो कैराथेन नामक फफुंदनाशक के स्थान पर घुलनशील गंधक की 3 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से वातावरण का तापमान कुछ बढ़ जाता है, जिसकी वजह से मंजर भी खुलकर आता है एवम उसमे पावडरी मिल्डीव रोग भी नही लगता है। ध्यान रखने योग्य बात है कि इन्हीं दिनों पौधों पर फूल आते हैं और यदि किसी भी कीटनाशी का प्रयोग फूलों पर किया गया तो परागण करने वाले कीट बाग में नही आयेंगे जिसकी वजह से संपूर्ण परागण न होने से कम फल लगेंगे। फरवरी में छोटे आम के पौधों के ऊपर से छप्पर हटा दें।
PC : डॉ. एसके सिंह प्रोफेसर सह मुख्य वैज्ञानिक(प्लांट पैथोलॉजी) एसोसिएट डायरेक्टर रीसर्च डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर बिहार
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