मुर्गीपालन क्षेत्र, किसानों की आर्थिकी को सुधारने का महत्वपूर्ण उद्योग है। कम समय में और कम खर्च में किसान को अधिक आय इस व्यवसाय से प्राप्त होती है। देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद में लगभग 33000 करोड़ रुपए का योगदान कुक्कुट मुर्गी पालन का है। आगामी पांच वर्षो में इसके लगभग 60,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है। 352 अरब रुपए से अधिक के कारोबार के साथ यह क्षेत्र देश में 30 लाख से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रहा है। रोजगार की इस क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं।
देश में कुक्कुट पालन का विकास की स्थिति
देश में मुर्गीपालन 8 से 10 प्रतिशत वार्षिक औसत विकास दर के साथ बढ़ रहा है। इससे यह कृषि क्षेत्र का अहम अंग बन चुका है। इसी का परिणाम है कि भारत विश्व में तीसरे सबसे बड़ा अंडा उत्पादक देश बन चुका है। वही चिकन उत्पादन में 5 वां सबसे बड़ा देश है। अंडा उत्पादन में बढ़ोतरी के बाद भी मांग और आपूर्ति में अंतर है।
क्योंकि, लोगों की फूड हेबिट में तेजी से बदलाव आ रहा है। ऐसे में कहां जा सकता है कि देश में कुक्कुट विकास में असीम संभावनाएं छिपी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त आजीविका के लिए बैक यार्ड पोल्ट्री फार्म और जापानी बटेर पालन को सरकार बढ़ावा दे रही है। मुर्गीपालन को पशुपालन विभाग अनुदान दे रहा है।
मुर्गियों का आहार का प्रबंधन
मुर्गी पालन में सबसे अधिक खर्च उनके दाने पर होता है। चीजों के लिए बाजार में फिनिशर और स्टार्टर राशन मिलता है। दाने में प्रोटीन और इसकी गुणवत्ता का ध्यान रखा जाए। चीजों को मक्का, सूरजमुखी, तिल, मुंगफली, जौ और गेहूं भी दे सकते हैं। मुर्गियों को चारा गीला करके देना चाहिए। मुर्गियां गिला दाना अधिक खेती है। ध्यान रखे कि गिला दाना शाम तक खत्म हो जाए नहीं तो उससे बदबू पैदा हो जाती है। ऐसे दाने को सुबह किसी भी सूरत में नहीं दें।
नए चूजों की देखभाल का उचित तरीका
फार्म पर नए चुके के पालन से पूर्व मुर्गीघर को कीटाणुनाशक दवा डालकर पानी से धोना चाहिए। आंगन पर साफ-सुथरा, बिछावन और नियंत्रित तापमान जरूरी है। ज्यादा तापमान से चूजों की असामयिक मृत्यु हो जाती है। चूजों के लिए साफ एवं ताजा पानी और स्टार्टर हर समय उपलब्ध हो। चूजों को पहले दिन ही मेरेक्स रोग का टीका लगवाएं।
चेचक और रानीखेत बीमारी का दूसरा टीका छः से आठ सप्ताह से लगवाना चाहिए। आठ सप्ताह के बाद चूजों को ग्रोवर दाना देना आवश्यक है। उन्नतिसवें सप्ताह से विशेष लकड़ी अथवा लोहे का बना फर्श रखना चाहिए, ताकि मुर्गी उसमें जाकर अंडे दे सकें।
मुर्गी पालन क्षेत्र को कैसे फायदेमंद बनाया जाए
मुर्गीपलन के लिए नस्ल चुनाव के साथ दूसरी बुनियादी बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। जैसे मुर्गी फार्म के निकट बाजार और मुर्गी उत्पाद की मांग प्रमुख है। मुर्गी फार्म मांस और अंडे की खपत वाले स्थान पर ज्यादा उपयुक्त रहता है। क्योंकि, मुर्गीपालन को बाजार तलाशने की आवश्यकता नहीं रहती है। मुर्गीशाला में आवागमन की सुविधा का ध्यान रखा जाए। तापमान लगभग 27 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास ठीक रहता है। दो पोल्ट्री फार्म के मध्य दूरी रखी जाए।
फार्म की लंबाई पूरब से पश्चिम की ओर होना चाहिए। मध्य में ऊंचाई 12 फिट और साइड 8 फिट ऊंची होनी चाहिए। चौड़ाई 25 फिट और शेड का अंतर कम से कम बीस फिट होनी चाहिए। मुर्गियों के शेड और बर्तनों की साफ सफाई हमेशा करते रहें। एक शेड में केवल एक ही ब्रीड के चूजे रखने चाहिए।
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