डाक्टरों के अनुसार मनुष्य पर कई प्रकार के कृषि रसायनों के गलत प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभाव सामने आए है जिनमें से मुख्य इस प्रकार है, बेहोशी, मृत्यु, चक्कर, थकान, सिरदर्द, उल्टी, छाती दर्द केंसर, मोतिया बिन्द, अंधापन, दमा, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, गर्भपात, अनियमत मासिक धर्म, नपुंसकता इत्यादि। इन सब बुरे प्रभावों को मध्य नजर रखते हुए भारत सरकार ने कुछ ज्यादा जहरीली कीटनाशक दवाइयों उत्पादन तथा प्रयोग बन्द कर दिया है या उनका प्रयोग कुछ एक फसलों पर ही करना सुनिश्चित किया है।
कृषि रसायनों की कम सांद्रता से तत्काल प्रभाव नहीं देखे जाते है बल्कि समय के साथ, वे बहुत गंभीर रोगों का कारण बनते हैं। पेस्टीसाइड सामान्यतः कैंसर उत्पन्न करने वाले, विकृति उत्पन्न करने वाले तथा ट्यूमर तथा सिस्ट उत्पन्न करने वाले प्रभाव के लिए जाने जाते हैं। कई अध्ययनों में पाया गया है कि कृषि रसायनों से कैंसर होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।
इनमें ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, मस्तिष्क, गुर्दे, स्तन, प्रोस्टेट, अग्न्याशय, यकृत, फेफड़े और त्वचा के कैंसर शामिल हैं। पंजाब और हरियाणा में कृषि श्रमिकों के बीच कैंसर की बढ़ी हुई दर इस बात का प्रमाण है। किसान, श्रमिक, निवासी और इनसे जुड़े उपभोक्ता विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में, दैनिक गतिविधियों द्वारा कीटनाशकों के संपर्क में आते हैं, इसलिए उन्हें इन रसायनों से अधिक जोखिम होता है।
कृषि रसायनों का सुरक्षित इस्तेमाल एवं प्रबंधन
कृषि रसायनों का सुरक्षित इस्तेमाल एवं प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है की खरीद और भंडारण हमेशा प्रतिष्ठित एवं ब्रांडेड कपंनी द्वारा निर्मित कृषि रसायन केवल आवश्यक मात्रा में खरीदें। उचित एवं अनुमोदित लेबल के बिना कृषि रसायन न खरीदें। खरीदते समय लीक, ढीले, सील खुले हुए कंटेनर व डिब्बे या फटे बैग न खरीदें। कृषि रसायनों की खरीद के बाद पक्का बिल अनिवार्य रूप से प्राप्त कर लें और बिल को संबंधित कृषि रसायनों के परिणाम प्राप्त होने तक सुरक्षित रखें।
कृषि रसायनों का भण्डारण, बच्चों एवं पशुओं की पहुंच से बाहर, घर के परिसर से दूर किसी सुरक्षित स्थान पर करें। ध्यान रहे कि भण्डारित कृषि रसायन प्रत्यक्ष सूरज की किरण, बारिश, पानी आदि के संपर्क में न आएं।कृषि रसायनों के भण्डारण के स्थान पर पशुओं का चारा, भूसा, पशु खाद्य, फसल या फसल का कोई भी हिस्सा आदि संग्रहित न करें। कृषि रसायनों को हमेशा अपने मूल कंटेनर में रखें तथा किसी भी स्थिति में उन्हें अन्य कंटेनर में स्थानांतरित न करें।
खरपतवारनाशी रसायनों को कीटनाशक, फफूंदनाशक, जीवाणु नाशक आदि के साथ संग्रहित न करें। कृषि रसायन किसी भी स्थिति में खाद्य सामग्री के साथ तथा सिर, कंधे या पीठ पर न ले जायें। कृषि रसायनों के कंटेनर व डिब्बे और बैग या अन्य पैकिंग खोलने के पूर्व अपने हाथ, नाक, कान, आंखें तथा मुंह को दस्ताने, मुखौटा, रूमाल, कपड़े का मास्क, टोपी, सुरक्षा चश्मा आदि से ढकें। हमेशा पूरे कपड़े पहनें ताकि पूरा शरीर ढका रहे। कृषि रसायनों के कंटेनर व डिब्बे और बैग या अन्य पैकिंग खोलते समय ध्यान रखें कि रसायन या पाउडर का संपर्क शरीर के किसी भी हिस्से के साथ न हो तथा खुले हुए कृषि रसायनों की गंध न लें।
कृषि रसायनों का घोल बनाने के पूर्व कंटेनर पर दी गयी जानकारी ध्यान से पढ़ें और आवश्यकतानुसार घोल तैयार करें। छिड़काव के लिए हमेशा अनुशंसित मात्रा एवं साद्रंता का ही घोल बनायें। घोल बनाने के लिए स्वच्छ पानी का उपयोग करें। कृषि रसायनों के प्रयोग के लिए सही उपकरणों का चयन करें तथा उनकी साफ-सफाई सुनिश्चित कर लें। टपकते और दोषपूर्ण उपकरण का उपयोग न करें। उपकरण की साफ-सफाई तथा सुधार के लिए दांतों का इस्तेमाल, मुंह द्वारा हवा फूंकना, आंखों द्वारा निकट निरीक्षण आदि क्रियाएं करने से बचें।
विपरीत हवा की स्थिति जैसे-गर्म धूप, तेज हवा, बारिश से ठीक पहले, बारिश के तुरंत बाद और हवा की विपरित दिशा में कृषि रसायनों का छिड़काव न करें। कृषि रसायनों के छिड़काव के तुरंत बाद खेतों में पशुओं और श्रमिकों का प्रवेश प्रतिबंधित करें। कृषि रसायनों के प्रयोग के दौरान अन्न, पानी, फल, धूम्रपान, तम्बाखू, पान, गुटखा, दवाई आदि का सेवन न करें।
कृषि रसायनों के छिड़काव के पश्चात उपकरण में बचे हुए घोल को तालाबों, कुओं, पानी के विभिन्न स्रोतों में या इनके पास नहीं बहाया जाना चाहिए। कृषि रसायनों के खाली कंटेनर किसी भी स्थिति में अन्य उद्देश्य व उपयोग के लिए इस्तेमाल न करें। इन्हें हमेशा पत्थर या छड़ी से कुचल कर पानी के स्रोत से दूर मिट्टी में गहरा गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए। कृषि रसायनों के छिड़काव के लिए इस्तेमाल की गयी सभी चीजों को प्रयोग करने के बाद साबुन से पानी से अच्छी तरह हाथ धो लें।
इनका इस्तेमाल घरेलू उद्देश्यों एवं पशुओं के लिए किसी भी स्थिति में न करें। कृषि रसायनों के इस्तेमाल या प्रयोग के पश्चात उपयोगकर्ता अपने शरीर तथा सभी अंगों जैसे-आंख, नाक, कान, मुंह आदि की सपफाई साबुन और पर्याप्त जल के साथ सुनिश्चित करें। कृषि रसायनों से संपर्क व दुर्घटना के पश्चात प्राथमिक उपायों के तुरंत बाद नजदीकी चिकित्सा अधिकारी से संपर्क करें तथा सम्बंधित कृषि रसायन साथ में अवश्य ले जायें।
PC: प्रोफेसर डॉ एसके सिंह विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी, प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना। डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा-848 125, समस्तीपुर, बिहार
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