बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए हमारे देश में पराली यानी धान की फसल के अवशेष को जलाने की सख्त मनाही है। ऐसे में धान की कटाई के बाद मक्के की बुआई करना किसानो के लिए किसी बड़ी परेशानी से कम नहीं है। धान की पराली को हटाने के लिए किसान को काफी मेहनत करनी पड़ती है। कई बार पराली प्रबंधन के कारण गेहूं की बुआई में भी देर हो जाती हैं।
ऐसे में गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए हैप्पी सीडर कृषि यंत्र एक बेहतर विकल्प हैं। यदि आप अभी तक हैप्पी सीडर कृषि यंत्र से अवगत नहीं है तो कृषि जागृति के इस पोस्ट को ध्यान से पढ़े। तो जानते हैं हैप्पी सीडर कृषि यंत्र के बारे में विस्तार से।
हैप्पी सीडर रोटर एवं जीरो टिलेज ड्रिल का मिश्रण है। इस कृषि यंत्र के द्वारा पराली को खेत में बिना निकाले या जलाए गेहूं की सीधी बुआई की जा सकती हैं।
हैप्पी सीडर कृषि यंत्र में आगे की तरफ रोटावेटर यूनिट लगा होता हैं जो धान की पराली को मिट्टी में दबाने के साथ खेत में क्यारियां तैयार करता हैं। इसके साथ ही इसमें जीरो टिलेज मशीन लगी है।
जिससे खेत के बिना जुताई किए ही गेंहू की बुआई की जा सकती हैं। इस यंत्र में दो बॉक्स बने होते हैं जिनमे खाद एवं बीज अलग अलग भरा जाता हैं। जो की इसे ट्रेक्टर के साथ चलाया जाता हैं।
हैप्पी सीडर कृषि यंत्र द्वारा 1 दिन में लगभग 6 से 8 एकड़ खेत मे बुआई की जा सकती हैं। इस यंत्र के द्वारा कम खर्च में आसानी से गेंहू की बुआई की जा सकती हैं। पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण में कमी आती हैं।
इस विधि से बुआई करने पर खेत में खरपतवार की समस्या काफी कम हो जाती हैं। मिट्टी की उर्वरक क्षमता में वृद्धि होती हैं। हैप्पी सीडर यंत्र से जीरो टिलेज विधि से बुआई करने पर सिंचाई के समय पानी की काफी बचत होती हैं। खेत की जुताई में होने वाले खर्च में कमी आती हैं।
हम अपनी आवश्यकता के अनुसार बीज की गहराई को घटा या बढ़ा सकते हैं। समय की बचत के साथ मेहनत भी कम लगता हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार हैप्पी सीडर मशीन से बुआई करने पर प्रति एकड़ खेत में लगभग 5000 रूपये की बचत होती हैं।
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