केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने झारखंड में सरसों की जैविक खेती के तहत क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए एक नई योजना बनाई है। इस योजना के तहत राज्य में सरसों की खेती के को मौजूदा 4 लाख हेक्टेयर से आत्मनिर्भर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। भरतपुर स्थित रेपसीड सरसों अनुसंधान निदेशालय योजना के क्रियान्वयन की निगरानी करेगा। गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2024-25 के अंतरिम बजट में सरसों, मुंगफली और सोयाबीन उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई योजना लाने की घोषणा की थी।
यह पहल उसी व्यापक योजना का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसमें सरसों उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए झारखंड को चुना गया है। इस योजना के तहत सरकार ने झारखंड के 17 लाख हेक्टेयर चावल के परती क्षेत्र से 30 से 40 प्रतिशत क्षेत्र को सरसों की खेती के तहत लाने का लक्ष्य रखा है। इस योजना का उद्देश्य यह है कि झारखंड में सरसों के तहत कुल खेती क्षेत्र को 10 से 11 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाकर पैदावार को राजस्थान जैसे अग्रणी सरसों उत्पादक राज्य के बराबर बढ़ाया जाएं।
इस योजना में सरसों की नई किस्मों, उन्नत उत्पादन तकनीकों को बढ़ावा देना और मूल्य संवर्धन के लिए फसल कटाई के बाद की प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करना शामिल है। सरसों के बीज उत्पादन और प्रसंस्करण क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए भी योजन बनाई जा रही है। यह उम्मीद है कि इन पहलों के माध्यम से झारखंड में सरसों की जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जैविक खेती एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है और इसके लिए धैर्य और समर्पण की आवश्यकता होती है।
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