केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में छूट की वर्तमान दरों को 31 मार्च 2025 तक बढ़ाने का फैसला किया है। केंद्र द्वारा रिफाइंड सोयाबीन तेल और सूरजमुखी के तेल पर आधारभूत आयात शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया था। खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
सरकार ने गन्ने के शिरे पर 50 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया है। शिरा गन्ने का एक उप-उत्पाद है, जिसका उपयोग एल्कोहल के उत्पादन में होता है। निर्यात शुल्क लगाने की रणनीति का कदम इसलिए उठाया गया है, ताकि इन सामग्रियों की आपूर्ति और मांग को नियमित किया जा सके और घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य तेल का उपभोक्ता और सबसे बड़ा आयातक है।
भारत अपनी कुल जरूरतों का लगभग 60% हिस्सा आयात से पूरा करता है। खाद्य तेलों के आयात पर लगने वाले शुल्क में कटौती से इनकी कीमतों में कमी आती है, जिससे घरेलू उपभोक्ताओं को राहत मिलती है। सरकार ने जून 2023 में कच्चे पाम तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल और कच्चे सोया तेल पर कस्टम मार्च 2024 तक 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था। अब इसे मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया है।सरकार का मानना है कि इस फैसले से खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और लोगों को राहत मिलेगी।
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