केंद्रीय कृषि मंत्रालय के 2023-24 के खरीफ सीजन में उत्पादन में कमी के अनुमान के मद्देनजर प्रमुख अर्थशास्त्री और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्ण अध्यक्ष अशोक गुलाटी ने जलवायु-अनुकूल सिंचाई प्रणालियों में निवेश की जरूरत पर जोर दिया है। गुलाटी ने जलवायु परिवर्तन के गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए सिंचाई सुविधाओं में अधिक निवेश करने की वकालत की हैं। उन्होंने पानी के विवेकपूर्ण उपयोग और जलवायु प्रतिरोधी बीज किस्मों के विकास पर जोर देने की बात कही।
बकौल गुलाटी इसके लिए कृषि अनुसंधान और विकास पर खर्च बढ़ाने की आवश्यकता होगी। गुलाटी ने किसानों को जल संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षित करने का भी आग्रह किया। अशोक गुलाटी ने सरकार से आग्रह किया है कि सरकार सूखे और बाढ़ दोनों का समाना करने में सक्षम जलवायु-लचीली सिंचाई प्रणाली स्थापित करें। उन्होंने जल भंडारण की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहां कि निवेश चाहे जलाशयों में हो, चेक डैम में हो या भूजल पुनभरण में हो, जहां भी संभव हो वहां पर निवेश के माध्यम से जल भंडारण के लिए प्रयास होने चाहिए।
जलवायु-अनुकूल सिंचाई तकनीकों में ड्रिप और फव्वारा सिंचाई, जल संचयन और पुन: उपयोग, और जलवायु-अनुकूल फसलों को शामिल किया गया है। इन तकनीकों का उपयोग करके पानी की बचत की जा सकती है और कृषि उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। जलवायु-अनुकूल सिंचाई में निवेश करके सरकार खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकती है।
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