भारत के कई क्षेत्रों में पशु पालन आजीविका का मुख्य स्रोत हैं। केवल इतना ही नहीं, प्रतिदिन बढ़ता डेयरी व्यापार एवं अधिक मुनाफे के कारण किसान पशु पालन की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में गाय, भैंस, बकरी, ऊंट, मुर्गी, बतख, बटेर आदि पशु पक्षियों का पालन भी बड़े पैमाने पर किया जाने लगा हैं।
इनमें गाय एवं भैंस का पालन प्रमुखता से किया जाता हैं। इनसे प्राप्त होने वाले दूध की मांग तो हमेशा बाजार में बनी रहती हैं। लेकिन पशु पालक एवं किसान गाय भैंस के दूध से घी , पनीर, छेना आदि तैयार कर के अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए अधिक दूध उत्पादन करने वाले पशुओं का चयन करना सबसे जरूरी हैं।
हमारे देश में भैंस की कुछ 19 नस्लों को मान्यता दी गई है। इनमें से एक भदावरी नस्ल की भैंस और मुर्रा नस्ल की भैंस की तुलना में इस नस्ल की भैंसो की दूध उत्पादन की क्षमता थोड़ी कम होती हैं। लेकिन भदावरी नस्ल की भैंसो के दूध में वसा की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती हैं।
आपको बता दें कि भारत सरकार के द्वारा इस नस्ल की भैंसो के संरक्षण के लिए भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी में एक परियोजना चलाई जा रही है। इसमें कुछ भैंसों के दूध में 14 प्रतिशत तक वसा की मात्रा पाई गई है। वसा के अलावा इन नस्ल की भैंस के दूध में प्रोटीन, केल्शियम, फॉस्फोरस, जिंक, कॉपर, मैंगनीज, जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।
भदावरी भैंस की पहचान कैसे करें!
शारीरिक बनावट: भदावरी भैंस का शारीरिक आकार मध्यम होता हैं। इनके शरीर का अगला भाग पिछले भाग से पतला होता हैं। इनके पैर मजबूत होते है। ओर शरीर पर बाल कम होते हैं।
शरीर का रंग: इस नस्ल के भैंसों का शरीर गहरे भूरे, काले या कॉपर रंग का होता हैं और इनके पैर का निचला भाग गेहूं के रंग का होता हैं। आंखों के ऊपर एवं गले के निचले भाग पर सफेद रंग की धारियां बनी होती हैं।
त्वचा: इनकी गर्दन और शरीर पर सिलवटों के साथ ढीली ओर मोटी त्वचा होती हैं।
सींग: इनकी सींग बाहर की तरफ मुड़ी हुई यानी घुमावदार एवं नुकीली होती हैं।
कान: इनके कान लंबे और झुके हुए होते हैं।
पूंछ: इस नस्ल के भैंसों की पूंछ पतली एवं लंबी होती हैं।
वजन: इस नस्ल के व्यस्क पशुओं का औसत वजन 300 से 400 किलोग्राम तक होता हैं।
क्षेत्र: इस नस्ल की भैंस इटावा, मथुरा एवं ग्वालियर, क्षेत्रों में ज्यादा पाई जाती हैं।
भदावरी भैंस की मुख्य विशेषता क्या है!
इस नस्ल की भैंस प्रति दिन 4 से 6 किलोग्राम दूध का उत्पादन करती हैं। भदावरी भैंस प्रति ब्यांत में लगभग 1430 लीटर दूध का उत्पादन करती हैं। उचित देखभाल करने पर इनसे 1800 लीटर तक दूध प्राप्त किया जा सकता हैं।
ब्यांत की अवधि लगभग 290 दिनों की होती हैं। इनके दूध में 6 से 14 प्रतिशत तक वसा की मात्रा पाई जाती हैं। दूध में वसा की मात्रा अधिक होने के कारण घी अधिक प्राप्त किया जाता हैं। इस नस्ल की भैंस का दूध A2 श्रेणी में आता हैं।
यह विपरीत परिस्थितियों के प्रति सहनशील होती हैं। 47 महीने की आयु में इस नस्ल की भैंस पहले बछड़े/बछिया को जन्म देने के लिए सक्षम हो जाती हैं। इनके बछड़े/ बछिया की मृत्यु दर कम होती हैं।दो ब्यांत के बीच 475 दिनों का अंतर होता हैं।शारीरिक आकार छोटा होने के कारण आहार की आवश्यकता कम होती हैं।
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