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धान की उन्नत खेती के लिए करे इन तीन किस्मों की जैविक बुआई!

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krishijagriti5

भारत में कंपनी का मुख्य व्यवसाय धान का प्रथम स्थान है। इसकी खेती उत्तरी से दक्षिणी प्लांट तक में बताई जाती है। भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। और किसानों को धान की ऐसी उन्नत खेती की तलाश रहती है, जो जल्दी तैयार हो जाए और बिहार का उत्पादन भी मिले। कृषि जागरुकता के इस लेख में हम आपको धान की नई रिलीज टन ऐसी टॉप वैरायटी के बारे में बताएंगे जो आप कृषि जैविक खेती करके बेहतर उत्पाद ले सकते हैं।

पूसा 1612: पूसा 1612 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईआईसी) द्वारा दिल्ली, भारत में पूसा संस्थान में विकसित बासमती चावल की उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता है। पूसा 1612 चावल अपने लंबे, अभिन्न दानों के लिए जाना जाता है, अनुपात लंबाई लगभग 8 से 8.5 मिमी है।

नेशनल मनीला सिंचित धान-1: अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (एरी) फिलीपींस और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संयुक्त उद्यम से न्यू ऑर्गेनिक मनीला सिंचित धान-1 विकसित किया गया है। उनके दाने बहुत मोटे होते हैं, लेकिन इसके चावल की लंबाई 7.0 और लंबाई 2.1 मिमी होती है।

सबौर मंसूरी धान: एवेस्टमेंट एवं लॉन्ग ट्रायल के बाद धान के नवीनतम संस्करण सबौर मंसूरी धान को विकसित किया गया है, इस पौधे को जल्द ही केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। इस धान के बीज को रोपनी के बिना शेष रखा जा सकता है। धान की इस नई कंपनी की खोज बिहार कृषि विश्वविद्यालय के पते की है। धान की यह नई संस्कृति उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और पांडिचेरी के लिए विशेष रूप से अनुसंशित की गई है।

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