बाजार में बेबी कॉर्न की मांग दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही हैं। खासकर मार्च से मई महीने तक बाजार में बेबी कॉर्न की मांग ज्यादा देखने को मिलती है। इसकी खेती सालभर में 3 से 4 बार कर सकते हैं। पौधों में बेबी कॉर्न तैयार होने में लगभग 60 से 65 दिनों का समय लगता हैं। इसलिए इसको देखते हुए किसानो का रुझान इसकी फसल की तरफ बढ़ रहा है।
बेबी कॉर्न मक्के के भुट्टे की पहली स्टेज होती हैं। जहां भुट्टे के बनने से पहले ही इसे कोमल अवस्था में तोड़ लिया जाता हैं। किसानो को इसकी खेती की पूरी जानकारी नहीं होने से फसल के उत्पादन और गुणवत्ता पर काफी उल्टा प्रभाव डाल सकता हैं। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट में बेबी कॉर्न की खेती के लिए जैविक तरीके से खेत कैसे तैयार करते हैं। और प्रति एकड़ खेत में कितनी मात्रा में बीज लेनी है और कब इसकी सिंचाई करनी है!
उतरी भारत में बेबी कॉर्न की बुआई दिसंबर और जनवरी के महीने को छोड़कर पूरे साल की जाती हैं। जनवरी के आखिरी सप्ताह में इसकी बुआई अच्छी रहती हैं। वहीं दक्षिण भारत में मौसम को देखते हुए इसकी खेती पूरे साल की जा सकती हैं।
प्रति एकड़ खेत में बेबी कॉर्न की जैविक बुआई के लिए 15 किलोग्राम बीज का प्रयोग करना चाहिए। ध्यान रहे बीज बुआई करने से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 10 मिली जी-एनपीके से उपचारित करके 15 से 20 मिनट हवा लगने के बाद ही बुआई करें ।
सबसे पहले छोटे और सीमांत किसान प्रति एकड़ खेत का चुनाव करें। खेत चुनाव करने के बाद प्रति एकड़ खेत में 5 से 10 टन 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद बिखेर कर एक बार गहरी जुताई करें।
खेत की गहरी जुताई करने के बाद कुछ दिनों के लिए खेत को खुला छोड़ दें। फिर खेत की मिट्टी को उपचारित करने के लिए 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट में 10 किलोग्राम जी-सी पावर और एक लीटर जी-एनपीके को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के बाद संध्या के समय प्रति एकड़ खेत में बिखेर कर 2 से 3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करे और पाटा लगाकर भूमि को समतल बना लें।
खेत की मिट्टी को भुरभुरी एवं समतल बनाने के बाद खेत में मेड़ बना ले और इनकी बीच की दूरी 2 फिट रखे। ध्यान रहे खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी बना रहें। बुआई से पहले खेत में 25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 15 किलोग्राम फास्फोरस एवं 10 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ खेत के लिए पर्याप्त होती हैं।
बेबी कॉर्न की बुआई के लिए मेडो पर लगने वाले दो पौधे के बीच की दूरी 7 से 10 इंच और पौधे की लाइन के बीच की दूरी डेढ़ फीट होनी चाहिए। फिर बुआई करते समय बीज को 1 से 2 इंच की गहराई में बोना चाहिए। और मेडो की दिशा पूरब में पश्चिम की ओर होनी चाहिए।
इसकी फसल में पहली सिंचाई बुआई करने से पहले करे। ऐसा करने से बीज के अंकुरित होने के लिए मिट्टी में नमी बनी रहती हैं। बुआई के 15 से 20 दिन बाद जब पौधों की लंबाई 4 से 5 इंच की हो जाए तब सिंचाई करे। और गर्मियों की दिनों में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहे।
यह भी पढ़े: मक्के की फसल में लगने वाले इन इल्लियों को नियंत्रण करने के ये है सही जैविक विधि!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती से संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें