चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान देश भर में उर्वरक की बिक्री 13 फीसदी बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के अप्रैल से सितंबर की अवधि के दौरान प्रमुख उर्वरकों की कुल बिक्री बढ़कर 319.86 लाख टन हो गई है, जो बीते साल की इसी अवधि में 282.64 लाख टन पर थी।नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यूरिया की बिक्री 172.11 लाख टन से 6.9 प्रतिशत बढ़कर 183.95 लाख टन, डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की बिक्री 51.48 लाख टन से 24.2 प्रतिशत बढ़कर 63.96 लाख टन, म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) की बिक्री 7.08 लाख टन से 9 प्रतिशत बढ़कर 7.72 लाख टन और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की बिक्री साल भर पहले के 51.97 लाख टन से 23.6 प्रतिशत बढ़कर 64.23 लाख टन पर पहुंच गई हैं।
कृषि वैज्ञानिकों एस के सिंह ने बिजनेस लाइन से कहां कि उर्वरकों का उपयोग सीधे तौर पर वर्षा से संबंधित है और हमने इस साल मानसून का आसमान वितरण देखा है। इसलिए उर्वरकों की बिक्री में गिरावट की उम्मीद थी। इस साल के अगस्त में 1901 के बाद से सबसे कम बारिश दर्ज की गई थी। ऐसी स्थिति में उर्वरकों की बिक्री में वृद्धि के आंकड़े आचरज में डालने वाले हैं।
सरकार को इसके पीछे के कारणों का पता लगाना चाहिए कि यह कौन से कारक है, जिसके चलते किसानों ने अधिक मात्रा में उर्वरकों की खरीद की हैं। उर्वरकों की बिक्री में वृद्धि से सरकार को भी राजस्व में वृद्धि होने की उम्मीद है। उर्वरकों पर सब्सिडी के लिए सरकार को धनराशि का भुगतान करना पड़ता है। बिक्री में वृद्धि से सब्सिडी की लागत भी बढ़ जाएगी।
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