इन दिनों सुगंधित औषधीय पौधों की जैविक खेती यानिकि औषधीय पौधों की डिमांड ज्यादा बनी हुई है। जिसमे से खस, लेमनग्रास, मिंट, अश्वगंधा और जरेनियम औषधीय पौधों की जैविक खेती करके भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। इन फसलों की मदद से कई तरह के प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं ऐसे में इसकी मांग भी तेजी से बढ़ी है।
लेमनग्रास की जैविक खेती: लेमनग्रास जिसकी खेती कम पानी या बंजर जमीन पर आसानी से की जा सकती है। लेमन ग्रास की खेती में न तो रसायनिक उर्वरक की जरूरत होती है और न ही जंगली जानवरों के फसल बर्बाद करने का डर रहता है, इसलिए यह फसल फायदे का भी सौदा साबित हो सकता है।
जिरेनियम की जैविक खेती: जिरेनियम के फूलों से तेल निकाला जाता है जो दवाओं में इस्तेमाल के अलावा अन्य कई कामों में उपयोग किया जाता है। जिरेनियम के तेल में गुलाब जैसी खुशबू आती है। इसका उपयोग एरोमाथेरेपी, ब्यूटी प्रोडक्ट्, इत्र और सुगंधित साबुन बनाने में किया जाता है। इसकी मांग भी बाजार में काफी ज्यादा है।
तुलसी की जैविक खेती: तुलसी की फसल साल में तीन बार काटी जाती है और इसकी पत्तियों का उपयोग फार्मास्यूटिकल्स, साबुन बनाने के लिए किया जाता है, और अरोमाथेरेपी के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मांग बाजार मे तेज है।
खस की जैविक खेती: खस को वेटिवर के नाम से भी जाना जाता है, इसकी जड़ों को इस्तेमाल किया जाता है जिसमें खुशबूदार तेल होता है। तेल का उपयोग साबुन, इत्र, कमरे के स्प्रे, ताज़ा पेय जैसे उत्पादों के निर्माण के लिए और अन्य सुगंधित तेलों जैसे गुलाब का तेल, चंदन का तेल, लैवेंडर का तेल आदि में मिश्रण के लिए किया जाता है।
यह भी पढ़े: आईआईएसआर चंद्रा: काली मिर्च की अधिक उपज देने वाली एक नई किस्म हुई विकसित
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद