जैविक खेती

जंगली खेती के फायदे जानिए किसान भाइयों ये कितना फायदेमंद है मानव जीवन के लिए

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krishijagriti5

नमस्कार किसान भाइयों आप सभी का स्वागत है कृषि जागृति के इस पोस्ट में, हम इस पोस्ट में जंगली खेती के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं कृपया आप सभी ध्यान पूर्वक पूरा पढ़े। जंगल मे मंगल होता है क्योकि जंगल में भूमि की उवर्क शक्ति बढ़ती है और जंगल रेगिस्तानी बालू को भी चिकनी मिट्टी में समय के साथ बदल देता है अतः फल-फूल के लिए जंगली खेती करना श्रेष्ठतम रहता है परन्तु अनाज तिलन दहन के लिए जैविक खेती श्रेष्ठतम रहती है।

  • खाद की जरूरत नही।
  • खरपतवार हटाने की जरूरत नही एवं पानी कम लगता है।
  • खेत मे तापमान नियंत्रित रहता है जिससे राजस्थान जैसे गर्म प्रदेश में सेव, हल्दी, केसर जैसी खेती भी कर सकते है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझे जंगली खेती के फायदे

बड़े पौधे जैसे आम, चीकू, चंदन, सागवान, निम, खेजड़ी आदि पौधों की जड़े बोहत गहरी होती है जो जमीन की गहराई से पोषक तत्त्व प्राप्त करते है, और ऋतु के साथ अपने पत्ते जमीन पर बिखेर देता है। मध्यम गहराई की जड़ो वाले पौधे जैसे अमरूद, अनार, अंजीर अन्य 5 से 7 फिट ऊँचाई वाले पौधे जर्मनी के 2 से 4 फिट गहराई से पोषक तत्व को प्राप्त कर के पत्तियों द्वारा जमीन पर बिखेर देता है

समय के साथ नमी और बैक्ट्रिया से यह पत्तियां सड़ कर खाद बन जाती है और यह खाद चिकनी मिट्टी जैसी होती है। छोटे पौधे जैसे सूरजमुखी फूल, हजारी फूल, पपीता के पौधा, केले का पौधा इन पोषक तत्व को प्राप्त कर लेते है। और वापस पत्तियों द्वारा पोषक तत्त्व जमीन पर बिखेर देता है यह क्रम कम से कम 5 साल चलने पर बालू मिट्टी चिकनी मिट्टी में काफी हद तक बदल जाती है, और यदि यह क्रम 15 से 20 साल चले तो लग्भग पूर्णरूपेण बालू मिट्टी चिकनी काली मिट्टी बन जाती है।

अतः फैलते रेगिस्तान को उपजाऊ चिकनी मिट्टी में बदलने का सबसे उत्तम तरीका जंगली खेती करे पेड़ पौधों की जो करीबन एक से डेढ़ फीट मिट्टी को चिकनी उपजाऊ मिट्टी बना देता है। पेड़ पौधे से फल जैसे दूध से घी प्राप्त करते है उसी प्रकार फल भूमि का घी है बसी हुई छाछ वापस जहाँ प्राप्त हुई वही मिल जाती है, और इसी प्रक्रिया से 10 फिट तक कि गहराई से पोषक तत्व एक से डेढ़ फीट की भूमि में आ जाते है और 98-99% तक भूमि पोषक तत्त्व और प्रकृति संतुलन बना रहता है।

100% संतुलन बनाने के लिए फल-फूल खाने वाले जीवों का मल मूत्र और मरणोपरांत उनके जीवाश्म उसी भूमि में मिल जाए तो 100% संतुलन बन जाता हैं। जंगल कभी भी न उपजाऊ न बनने का कारण बस यही है। पेड़ पौधों ने पोषक तत्त्व लिए और फल पत्तो द्वारा वही बिखेर दिए। जंगल मे रहने वाले जीव फल को खा कर अपना जीवन चला लेते है और जब मरते है तब उनका शरीर उसी जंगल मे सड़ कर वापस पोषक तत्व मिट्टी को दे देता है। और पत्ते सड़ कर वापस पोषक तत्व वही भूमि पर बिखेर देता है इसी प्रकार अरबो वर्षों से उसी भूमि पर जंगल हरा भरा खिला हुआ रहता है न उनको यूरिया की कमी होती है न डीएपी सल्फर जिंक की।

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