सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने बारिश की कमी के कारण मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सोयाबीन की फसल पर चिंता व्यक्त की हैं। संगठन ने कहां है कि सोयाबीन की फसलों के लिए तत्काल बारिश अति बेहद जरूरी है और इसमें देरी हुई तो उपज में भारी नुकसान हो सकता है।
संगठन के मुताबिक मानसून के शुरुआती दिनों में सोयाबीन की फसल अच्छी स्थिति में बनी हुई थी। हालांकि, अब अगस्त में बारिश की भारी कमी के कारण सोयाबीन की फसल को जोखिम का सामना करना पड़ रहा हैं। सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक के अनुसार बारिश की कमी से उत्पादन कितना प्रभावित होगा यह अगले 45 दिनों के मौसम पर निर्भर करेगा।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अभी तक 124.71 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती हुई हैं। सोयाबीन की रकबे में पिछले साल की इसी अवधि के 120.82 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 3.21 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली हैं।
देश में सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक माने जाने वाले मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र इन दोनों प्रमुख राज्यों में सोयाबीन का रकबा बढ़ा हैं। राजस्थान में फसल के तहत क्षेत्रफल में कुछ कमी आई है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सोयाबीन का रकबा भले ही बढ़ा हो, मगर अगस्त महीने में इन दिनों राज्यों में न के बराबर बारिश हुई हैं। इसलिए दोनों ही राज्यों में फसल पर खतरा मंडरा रहा है।
अगर इन राज्यों में सितंबर में भी मानसून की बेरुखी कायम रही, तो फिर फसल चौपट होने का खतरा है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल 45 से 60 दिनों की हो गई है और पौधों में फलियां लग रही है। यही हाल महाराष्ट्र में भी है जहां फलियां लग रही हैं।
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