खीरे के पौधे में जड़ सड़न रोग फुसैरियम ओक्सिस्पोरम कवक के कारण होता है। ग्रीन हाउस में खेती की जाने वाली फसलों में यह एक विनाशकारी रोग के रूप में जाना जाता है, जिसके संक्रमण के लिए अक्टूबर के अंत से मई के अंत तक का समय विशेषज्ञों द्वारा उचित बताया गया है। ये कवक पौधे के मलबे और मिट्टी में कई वर्षो तक जीवित रह सकते है और सिंचाई के माध्यम से तेजी से पूरे क्षेत्र में फैलते हैं।
इसके अलावा ग्रीन हाउस में फैलने के अन्य स्रोतों में संक्रमित पौधों की रोपाई, संक्रमित उपकरणों का उपयोग या प्रभावित पौधों के तनों के संपर्क में आने वाले श्रमिकों शामिल हैं। ये रोग 20 डिग्री सेल्सियस के आस पास के तापमान युवा पौधों में संक्रमण के लिए अनुकूल होते हैं। विशेष रूप से पहले 4 सप्ताह के दौरान फसल में इस रोग का खतरा सबसे ज्यादा होती है। इसके विपरित ये रोग 32 डिग्री सेल्सियस या बढ़ते तापमान पर विकसित नहीं होते हैं। जिससे पुराने पौधे कम प्रभावित होते हैं।
खीरे की फसल में लगे जड़ सड़न रोग के लक्षण
खीरे की बुआई के दौरान जड़ों के सिरों और घाव वाली जगहों से संक्रमण होना रोग के शुरुआती लक्षण है। और यह समय उचित होता है जैविक उपचार करके इस रोग को नियंत्रण करने के लिए। इसके अलावा पौधे में फल बनने के बाद मुरझाने लगते हैं। इस रोग के लगने के प्रारंभ में खीरे की पत्तियों का गलना व पिला पड़ने के साथ जड़ों पर सलेटी या भूरे रंग के घाव को देखकर पहचाना जा सकता हैं की फसल में जड़ सड़न रोग का आक्रमण हुआ है। इसके अलावा कभी कभी गहरी काली रेखाएं मिट्टी से जुड़े तनों पर होना भी फसल में इस रोग की ओर इशारा करते हैं। इस रोग की गंभीरता बढ़ने की स्थिति में पौधे बहुत तेजी से मुरझाने लगते हैं।
खीरे की फसल में लगे जड़ सड़न रोग को नियंत्रण करने के जैविक तरीके
प्रति वर्ष बुआई कर रहे एक ही खेत में खीरे की फसल को बार-बार न बोए, बल्की किसी भी कद्दू वर्गीय फसलों में तीन साल का गैप रखें। यानी कहने का मतलब यह है की एक ही फसल हो लागतार न बोए बल्की तीन वर्ष के बाद फसल दूसरी बोए उस खेत में! खीरे की खेत में अधिक समय के लिए अत्यधिक नमी ना रहने दें। यानी ये न हो की खेत हरदम सिंचाई कर कर के गिला रखें हो।
खेत की गहरी जुताई करने के बाद मिट्टी को उपचार करने के लिए 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी सी पावर और एक लीटर जी बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के बाद संध्या के समय प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर दो से तीन बार हल्की जुताई कर मिट्टी को समतल बना लें। मिट्टी को। समतल बनने के 2 से 3 दिन बाद बीज को 10 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित कर 60 सेंटीमीटर की दूरी पर बुआई करें।
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