जैविक खेती

मक्के की फसल में लगने वाले बेक्टेरियल ब्लाइट रोग से बचाने के लिए करे ये जैविक कार्य!

Published by
krishijagriti5

मक्के की फासल में बेक्टेरियल ब्लाइट रोग का प्रकोप सबसे अधिक होता हैं। इस रोग को जीवाणु झुलसा रोग के नाम से भी जाना जाता है। फसल में लगे इस रोग के कारण मक्के की पैदावार एवं गुणवत्ता में भारी कमी आती हैं। जिससे किसानो को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता हैं। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट में इस रोग से होने वाले मक्के की फसल को नुकसान और नियंत्रण करने की जैविक विधि के बारे में विस्तार से!

मक्के की फसल में लगे बेक्टिरियल ब्लाइट रोग के लक्षण

मक्के के फसल में इस रोग के लगने पर मक्के किं पत्तियां किनारे से सफेद रंग की नजर आने लगते हैं। और रोग बढ़ने पर पत्तियां पूरी तरह पीली हो जाती हैं। फिर कुछ समय बाद पौधे सूखने लगते हैं।

मक्के की फसल में लगे बेक्टेरियल ब्लाइट रोग को नियंत्रण करने के जैविक विधि

मक्के की फसल में लगे इस रोग को नियंत्रण करने के लिए 150 लीटर पानी में एक लीटर जी डर्मा प्लस को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय स्प्रे करें। इसके अलावा 150 लीटर पानी में एक लीटर जी एनपीके को मिलाकर प्रति एकड़ खेत में संध्या के समय स्प्रे करें।

यह भी पढ़े: मक्के की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोगों को नियंत्रण करने के लिए ये है सही जैविक विधि!

हमे उम्मीद है यह जानकारी हमारे किसान भाइयों लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करे। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए मक्के की फसल को बैक्टेरियल ब्लाइट रोग से बचा सके। कृषि संबंधी किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें।

Share