उचित जानकारी के अभाव में कई बार पशुपालक गाय और भैंस के नवजात बछड़े/ बछिया का सही से ध्यान नहीं रख पाते हैं। इस लापरवाही के कारण नवजात पशु गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
कई बार यह रोग नवजात बछड़े/बछिया की मृत्यु का भी कारण बनते हैं। ऐसे में नवजात पशुओं के मृत्यु के कारण एवं उनकी देखभाल की जानकारी होना अति आवश्यक है। तो आइए जानते हैं कृषि जागृति के इस पोस्ट में इसके बारे में विस्तार से।
दस्त, न्यूमोनिया, नाभि संक्रमण, जीवाणु संक्रमण, कॉक्सीडियोसिन, जुकाम, बुखार, इत्यादि।
संक्रमण और रोग: नवजात जानवर संक्रमण और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जो तुरंत इलाज न करने पर घातक हो सकते हैं। कुछ सामान्य संक्रमणों में निमोनिया, दस्त, सेप्सिस और ई कोलाई जैसे पाचन तंत्र की समस्याएं शामिल हैं।
उचित पोषण की कमी: यदि गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान पशु को उचित पोषण नहीं मिल रहा है, तो नवजात पशु को वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाता है, जिससे नवजात पशु को कमजोरी के कारण मृत्यु हो सकती हैं।
पर्यावरणीय कारक: मौसम की चरम स्थिति, जैसे ठंडा तापमान या अत्यधिक गर्मी, नवजात पशुओं के लिए घातक हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, विषाक्त पदार्थों या रसायनों के संपर्क में आने से भी उनकी मृत्यु हो सकती है।
नाभिनाल का ध्यान न रखना: जन्म के बाद नाभिनाल में संक्रमण या उसका पकना पशुओं की मृत्यु का कारण बन सकती है।
कोलेस्ट्रम की सही मात्रा: नवजात पशुओं को कोलेस्ट्रम नहीं पिलाने से या आवश्यकता से अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रम पिलाने से भी उनकी मृत्यु हो सकती है।
पेट में कीड़े: नवजात पशुओं की पाचन क्षमता एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। मिट्टी आदि खाने से कई बार पशुओं के पेट में कीड़े होने की समस्या होती है। सही समय पर कृमि नाशक दवा नहीं पिलाना, नवजात पशुओं को मृत्यु की तरफ ले जा सकता हैं।
उचित आहार: उचित आहार न मिलना भी नवजात पशुओं की मृत्यु के कारणों में से एक है।
श्वास तंत्र की समस्याएं: नवजात पशुओं को कई बार सांस लेने में काफी कठिनाई होती है। जिससे उनकी मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है।
देखभाल में कमी: छोटे पशुओं की प्रतिरोधी क्षमता कम होती है। ऐसे में नवजात पशुओं के रहने के लिए आरामदायक आवास, सही मात्रा में दूध, कोलेस्ट्रम आदि का ध्यान नहीं रखने से या देखभाल में लापरवाही करना पशुओं की मृत्यु का बड़ा कारण बन सकता है।
जन्म की जटिलताएं: कठिन या लंबे समय तक श्रम नवजात पशु को तनाव और आघात का कारण बन सकता है, जिससे मृत्यु हो सकती है। कुछ मामलों में नवजात पशु जन्म दोष या विकृति के साथ पैदा हो सकता है जो मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
शिकारी: नवजात जानवर शिकारियों की चपेट में आते हैं, जैसे जंगली जानवर या शिकार के पक्षी, जो उन पर हमला कर सकते हैं और मार सकते हैं।
1 से 20 दिनों के पशुओं में ई कोलाई होने का खतरा सबसे अधिक होता है। यह एक जीवाणु जनित रोग है। इस रोग से प्रभावित पशुओं को पतले, सफेद-पीले रंग के दस्त होते हैं। उचित इलाज नहीं मिलने पर 1 से 2 दिनों में नवजात पशुओं की मृत्यु हो सकती हैं।
नवजात पशुओं में जुकाम, दस्त, बुखार, न्यूमोनिया जैसे रोग के लक्षण नजर आने पर तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श करें। अधिक मात्रा में खीस यानी कोलेस्ट्रम पिलाने से नवजात पशुओं को दस्त की शिकायत हो सकती है। इसलिए पशुओं को उचित मात्रा में ही खीस पिलाएं।
पेट के कीड़े मारने के लिए 15 दिन के बछड़े/बछिया को पहली बार कृमि नाशक दवा पिलाएं। पाचन तंत्र की समस्याओं से बचाने के लिए पशुओं को स्वच्छ जल एवं चारा दें। नवजात पशुओं की नाभिनाल को पकने से बचाने के लिए सही देखभाल करें।
मादा पशु और नवजात पशु में बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए सभी आवश्यक टीकाकरण कराएं। पशु आवास और उसके आस-पास सफाई का विशेष ध्यान रखें। नवजात पशु को संभालने से पहले हाथ को अच्छी तरह साफ करें।
इससे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान उचित पोषण प्राप्त होता है। पशु चिकित्सक की परामर्श के बिना पशुओं को किसी भी तरह की दवा न दें। किसी भी तरह की समस्या आने पर तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श करें। मादा पशु और नवजात पशुओं को रहने की व्यवस्था अलग करें। और उन्हें रोग बीमारियों से दूर रखें।
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