भूमि संसाधन विभाग यानी ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत नागरिकों के लाभ के लिए भूमि अभिलेखों और भूसंपति मानचित्रों के डिजिटलीकरण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
देश में भूमि अभिलेखन प्रणाली के आधुनिकीकरण के लिए एक संशोधित कार्यक्रम अर्थात राष्ट्रीय भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम यानी एनएलआरएमपी तैयार किया गया हैं, जिसे अब डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम DILRMP के नाम से जाना जाता हैं।
इस कार्यक्रम के तहत जिले को कार्यान्वयन की इकाई माना गया हैं, जहां सभी कार्यक्रम कार्यकलाप किए जाने हैं। भूमि अभिलेखों की डिजिटलीकरण भूमि के स्वामित्व का पुख्ता दस्तावेज होगा। जिससे छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी।
DILRMP के तीन मुख्य घटक हैं
- भूमि अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण
- सर्वेक्षण/ पुनर्सर्वेक्षण
- रजिस्ट्रीकरण का कंप्यूटरीकरण
इस कार्यक्रम के लाभ
नागरिक को रियल टाइम भूमि स्वामित्व रिकॉड उपलब्ध होंगे। स्वचालित होने के कारण इससे धोखाधड़ी वाले संपति सौदों के दायरे में काफी कमी आयेगी। निर्णायक भूमि स्वामित्व से मुकदमेबाजी में भी काफी कमी आयेगी। कंप्यूटर के माध्यम से नागरिक को भूमि डेटा जैसे अधिवास, जाती, आय आदि के आधार पर प्रमाण पत्र उपलब्ध होंगे।
यह पद्धति क्रेडिट सुविधाओं के लिए ई लिंकेज की अनुमति देगी। सरकारी कार्यक्रम के लिए पात्रता की जानकारी आंकड़ों के आधार पर उपलब्ध होगी। भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण और विभिन्न सरकारी विभागों के साथ इसके जुड़ाव से कल्याणकारी योजनाओं के उचित कार्यान्वयन में मदद मिलेगी। बाढ़ और आग जैसी आपदाओं के कारण दस्तावेजों के नुकसान की स्थिति के भी यह बहुत मददगार होगा।
स्त्रोत: भूमि संसाधन विभाग
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