कर्नाटक की दावनगेरे में 04 से 09 जनवरी के दौरान मक्के की कीमतों में 6.30 प्रतिशत यानी 137 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि देखने को मिली। 04 जवनरी को मक्के को 2,172 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा था, जो 09 जनवरी को बढ़कर 2, 309 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। केंद्र सरकार द्वारा 2023-24 के लिए मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,090 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। मंडियों में मक्के के लिए अच्छी मांग है। पशु खाद्य निर्माताओं और स्टार्च विनिर्माण जैसे पारंपरिक क्षेत्रों से मांग पहले से बढ़ रही है।
अब इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का की खपत में बढ़ोतरी से मांग में वृद्धि देखने को मिल रही है। हालांकि, मांग की तुलना में आपूर्ति की कमी है। अखिल भारतीय पोल्ट्री ब्रिडर्स एसोसिएशन ने हाल ही में केंद्र सरकार से भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए मक्का के शुल्क मुक्त आयात को खोलने का अनुरोध किया है। आपको बता दें कि वर्तमान में मक्के के आयात पर 50 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगता है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी रबी बुवाई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 6 जनवरी 2024 तक मक्के का रकबा 18.99 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा, जो साल भर पहले की इसी अवधि की तुलना में थोड़ा अधिक है। देश के प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य बिहार में रबी सीजन की बुवाई चल रही है। मंडियों में मक्के की ऊंची कीमतों के कारण इस साल कुल रकबे में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा अक्टूबर 2023 में जारी पहले अग्रिम फसल उत्पादन अनुमान में खरीफ मक्का का उत्पादन पिछले खरीफ सीजन की तुलना में 5.02 की गिरावट के साथ 224.8 लाख टन आंका गया था। विगत खरीफ के दौरान रिकॉड 236.7 लाख टन मक्का उत्पादन हुआ था। कृषि मंत्रालय ने मौजूदा रबी सीजन के दौरान 97.5 लाख टन मक्का उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो की पिछले रबी सीजन के दौरान हुए 166.9 लाख टन के मुकाबले 16.5 प्रतिशत कम है।
अक्टूबर से लेकर अब तक देश भर की मंडियों में मक्के की कीमतों में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। मांग के मुकाबले आपूर्ति की कमी, इथेनॉल उत्पादन में मक्के के इस्तेमाल से इसकी उपलब्धता प्रभावित होने की संभावना और खरीफ सीजन में उत्पादन घटने का अनुमान जैसे कारणों के चलते आनेवाले दिनों में भी मक्के की कीमतों में मजबूती बनी रहने की संभावना है। हम किसानों को फिलहाल अपनी फसल बचाकर रखने और 2450 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल का भाव आने पर उसे बेचने की सलाह देते हैं।
यह भी पढ़े: 25 फीसदी बाजार पर भारत ब्रांड की चना दाल का कब्जा!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद