कृषि जागृति संदेश

सरसों की फसल में इस समय लग सकते है चेंपा किट, जाने कैसे करे बचाव!

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राजस्थान के कृषि आयुक्त कन्हैया लाल स्वामी ने बताया कि मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण जनवरी महीने के दौरान सरसों की फसल में इस समय चेंपा किट लगने की संभावना बढ़ जाती है। जब औसत तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस व आद्रता ज्यादा होती है, तो चेंपा किट फैलने की संभावना रहती है।

कृषि आयुक्त ने बताया कि चेंपा कीट के संक्रमण के दौरान हल्के हरे-पीले रंग का कीट छोटे-छोटे समूह में रह कर पौधे के विभिन्न कोमल भागों, फूलों, कलियों व टहनियों पर रहकर रस चूसते है। इसके चलते पौधों की बढ़वार रुक जाती है, कलियां कम आती है और फलियों के दानों की संख्या में भी कमी आती है। उन्होंने बताया कि अगर किसान इन कीटों की रोकथाम के उपाय नहीं करते हैं, तो उनकी फसल को काफी नुकसान हो सकता है और पैदावार में काफी कमी आ सकती है।

सरसों की फसल को चेंपा किट के रोकथाम के उपाय

सरसों के पौधे की मुख्य शाखा की लगभग 10 सेमी की लंबाई में 20 से 25 चेंपा किट दिखाई देने पर मैलाथियॉन 5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टेयर में भुरकाव करें या मैलाथियॉन 50 ई.सी. सवा लीटर अथवा डायमेथोएट 30 ई.सी. एक लीटर दवा प्रति हैक्टेयर 400 से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

कृषि जागृति का सुझाव: जो किसान भाई इस किट से सरसों की फसल को बचाने के लिए जैविक रोकथाम करना चाहते हैं तो वे किसान भाई सरसों की बुवाई करने से पहले प्रति किलोग्राम सरसों के बीज को 10 मिली जी-बायो फास्फेट एडवांस को मिलाकर कर 15 से 20 मिनट तक छाया में सुखाकर फिर बुवाई करें। आप चाहे तो पानी के साथ भी सरसों के बीज को उपचार कर सकते हैं। इसके लिए 10 मिली जी-बायो फास्फेट एडवांस को प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रति किलोग्राम बीज को 15 से 20 मिनट तक डुबो कर रखे। फिर बीज को निकाल कर 30 मिनट तक किसी छायादार स्थान पर सुखा कर बुवाई करे।

इसके अलावा आप 10 मिली जी बायो फास्फेट एडवांस को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन के बाद पुनः स्प्रे करें। अगर हमारे किसान भाई बताई गई कृषि जागृति द्वारा उपयुक्त जानकारी को किसान अपनाते है तो आप सरसों की फसल को चेंपा किट लगने से बचा सकते हैं।

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