भारतीय कपास संघ सीएआई ने 2022 से 23 सत्र के लिए देश में 311.18 लाख गांठ यानी प्रत्येक 170 किलोग्राम कपास उत्पादन के अपने पूर्वानुमान को बरकरार रखा हैं। यह अनुमान विभिन्न राज्यों के सदस्यों से मिली जानकारी पर आधारित हैं। अक्टूबर से जुलाई के दौरान 296.80 लाख गांठ कपास की आवक होने का अनुमान है, जबकि सत्र के अंत में 23.18 लाख गांठ कपास शेष रहने का संभावना है।
इसलिए कपास के दाम घट सकते है। कपास का आयात पिछले सत्र के 14 लाख गांठ से बढ़कर 15 लाख गांठ पर पहुंचने का अनुमान है, जबकि निर्यात में 63 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिल सकती हैं। सत्र के अंत तक कपास का निर्यात 16 लाख गांठ पर रहने के आसार है। जो पिछले साल 43 लाख गांठ पर था।
उच्च ब्याज दर और मंदी जैसी वैश्विक बाजार की चुनौतियां से कपास उद्योग प्रभावित हुआ है। जिससे मांग में कमी आई है। नतीजतन कपास की कीमतों में 30 प्रतिशत की भारी कमी आई है। जो 1 लाख रुपए प्रति कैंडी यानी 356 किलोग्राम के उच्चतम स्तर से गिरकर मौजूदा 61,000 रुपए प्रति कैंडी पर आ गई है। जबकि सत्र के अंत में 23.18 लाख गांठ कपास शेष रहने का संभावना है।
इसलिए कपास के दाम घट सकते है। सत्र के अंत तक कपास का निर्यात 16 लाख गांठ पर रहने के आसार है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 11 अगस्त तक कपास की खेती का रकबा पिछले साल के 122.53 लाख हेक्टेयर से 1 प्रतिशत घटकर 121.28 लाख हेक्टेयर पर आ गया है। इस सत्र में कीमतें घटने के कारण कपास उत्पादक किसानों ने अपना रुख तिलहन और दलहन की तरफ किया हैं।
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