सरसों की फसल में लगे इस रोग का ये फोटो एक किसान भाई द्वारा Whatsap पर दी गई और इसका जैविक निदान पूछा गया हमसे। तो हम इस किसान भाई को तसल्ली दी और बताया की कृषि जागृति आपको बेहतर सुझाव देगा। जिसे आप अपने सरसों की फसल पर इंप्लीमेंट कर इस रोग को सरसों की पूरी फसल में फैलने से बचा सकते हैं। तो हम कृषि जागृति के इस पोस्ट में इस रोग के निदान करने के बारे में बात करेंगे।
कृषि जागृति का सुझाव: जिन किसान भाइयों की सरसों की फसल फुलाती हुई पुतलूंगी पर सफेद सा लगा हुआ है। इसको सफेद रोली या वाइट रस्ट कहां जाता हैं, जो की ये सरसों की फसल में लगने वाला एक कॉमन रोग है। ये रोग सरसों की बुवाई के 30 से 40 दिनों बाद पौधों की पत्तियों या टहनियों पर सफेद उभरे हुए दिखाए देते हैं।
इस रोग से फसल को बचाने के लिए अगर हमारे किसान भाई फसल बोने से पहले सरसों के बीजों को 10 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करके बोए तो, हमारे किसान भाई सरसों की फसल में लगने वाले इस रोग से निजात पा सकते हैं। साथ ही अगर जैव उर्वरक के मिश्रण से मिट्टी को भी उपचारित कर ले तो सरसों की फसल में लगने वाले मिट्टी जनित व बीज जनित रोगों को पनपने से रोक सकते हैं।
इसके अलावा फसल में ये रोग दिखाई दे तो शुरुआती चरण में ही इसका जैविक उपचार करें। इसके लिए हमारे किसान भाइयों को 15 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए 10 दिन बाद पुनः स्प्रे करें। अगर हमारे किसान भाई सरसों की फसल पर ये रोग देखते ही शुरुआती चरण में ही जैविक उपचार करते है तो वे अपने पूरे फसल को बर्बाद होने एवं उपज में कमी होने से बचा सकते हैं।
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