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भदावरी भैंस भारत में पाई जाने वाली एक देशी नस्ल की भैंस है। इनकी पहचान इनके शारीरिक बनावट एवं रंग के आधार पर की जाती हैं। इनका शरीर मध्यम आकार का होता हैं। इनकी सींग नुकीली और बाहर की तरफ घुमावदार होती हैं। इनकी पूंछ लंबी होती हैं। इस नस्ल की भैंस अधिक दूध एवं घी उत्पादन के लिए प्रचलित हैं।
भदावरी भैंस की दूध उत्पादन क्षमता उनकी आयु, स्तनपान की अवधि उन्हें दिया जाने वाला आहार एवं उनके स्वास्थ्य के अनुसार भिन्न हो सकती हैं। औसतन एक स्वास्थ्य भदावरी भैंस प्रति दिन लगभग 8 से 12 लीटर दूध की उत्पादन कर सकती हैं। हालांकि, पीक लैक्टेशन अवधि के दौरान भदावरी भैंस प्रति दिन 15 से 20 लीटर तक दूध का उत्पादन कर सकती हैं।
मुर्रा नस्ल की भैंस को भारत में सबसे अधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ल माना जाता हैं। एक स्वस्थ मुर्रा भैंस प्रति दिन लगभग 16 से 20 लीटर दूध का उत्पादन कर सकती हैं। हालांकि पीक लैक्टेशन अवधि के दौरान, दूध की उपज प्रति दिन 25 लीटर तक जा सकता हैं। यह ध्यान रखना काफी महत्वपूर्ण है कि उचित भोजन और प्रबंधन से मुर्रा भैंस की दूध उत्पादन क्षमता में काफी सुधार किया जा सकता हैं।
भैंस की दूध उत्पादन क्षमता उनकी नस्ल, आयु, स्वास्थ्य एवं आहार पर निर्भर करता हैं। भैंस में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्हें संतुलित और पोष्टिक आहार देना जरूरी है। इसके लिए उनके आहार में हरे चारे के तौर पर मक्का, ज्वार, जई, ओर सोयाबीन, खिलाए। उनके आहार में सूखे चारे के तौर पर गेहूं का भूसा, धान का भूसा ओर घास देना चाहिए।
इसके अलावा केल्शियम, फॉस्फोरस एवं अन्य आवश्यक खनिज तत्वों की पूर्ति के लिए उनके आहार में सोयाबीन, हरे चारे, मूंगफली की भूसी आदि शामिल करें। दूध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए भैंसों के लिए प्रति दिन साफ ओर ताजे पानी की व्यवस्था करें।
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