कृषि विभाग ने गेहूं की फसल में लगने वाले जड़ माहू कीट से बचाव के लिए किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि प्रतिकूल मौसम के कारण गेहूं की फसल में रूट एफिड कीट का प्रकोप हो सकता है, इसलिए किसानों को अपने खेतों की निगरानी पर प्रति दिन विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
जड़ माहू प्रकोप के लक्षण: यह कीट गेहूं की फसल में पौधों की जड़ों से रस चूसने लगते है, जिससे पौधे पीले पड़ने लगते हैं और फिर सूखने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। सबसे पहले इसके लक्षण हल्के पीले पौधों वाले खेतों में दिखाई देंगे, बाद में पूरे खेत के सूखने की संभावना हो सकती है।
जड़ माहू कीट की पहचान: इस कीट का रंग हल्का पीला होता है, जो जड़ों का रस चूसते हुए दिखाई देते है। गेहूं के पौधे उखाड़ने पर इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है।
जड़ माहू कीट प्रबंधन: इस कीट के प्रबंधन के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी का उपयोग किया जाता है। 1 से 2 लीटर प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत जीआर को 15 से 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर यूरिया या बलुई मिट्टी में मिलाकर सिंचाई से पहले खेत में छिड़काव किया जा सकता है। या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 200 से 250 मिली प्रति हेक्टेयर या थायोमेथोक्साम 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर या क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी 1 से 2 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर मिलाकर पूरे खेत में अच्छी तरह से छिड़काव कर सकते हैं।
ये औषधियां प्रणालीगत प्रकार की होती हैं और पूरा पौधा जहरीला हो जाता है, जिससे जड़ का माहू कीट मर जाता इसके अलावा अगर आप जैविक उपचार करना चाहते हैं तो आप इसके लिए इस किट के शुरुआती चरण में 10 मिली जी बायो फॉस्फेट एडवांस को 15 लीटर पानी के टैंक में मिलाकर स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए एक सप्ताह के बाद पुनः स्प्रे करें।
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