हरियाणा के हिसार में स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई ड्रायर, डी हास्कर और पोलिशर के साथ एकीकृत धान की नई थ्रेशर मशीन को भारत सरकार के पेटेंट कार्यकाल की ओर से पेटेंट मिल गया है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बी.आर. कामबोज ने कहां कि विश्वविद्यालय को लगातार मिल रही उपलब्धियां यहां के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का ही नतीजा हैं। विकसित की गई इस नई तकनीक के लिए पेटेंट मिलने पर उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि पहले किसानों को धान से चावल निकालने के लिए मिल में जाना पड़ता था। अब किसान खेत में ही इस मशीन का उपयोग करके धान के दानों को फसल से अलग कर सकेंगे। और सुखा सकेंगे व भूसी निकाल सकेंगे और पॉलिश भी कर सकेंगे। साथ ही किसान घर के खाने के लिए भी भूरे चावल निकाल सकेंगे।
कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस. के. पाहुजा ने बताया कि धान की ये थ्रेशर मशीन 50 एचपी ट्रैक्टर के लिए अनुकूल है। ड्रायर में 18 सिरेमिक इंफ्रारेड हिटर ( प्रत्येक 650 वॉट) शामिल है।
इस मशीन की चावल उत्पादन क्षमता 150 किलोग्राम प्रति घंटा तक पहुंच जाती है। और इस मशीन की कीमत 6 लाख रुपए तय की गई हैं। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई ये धन की नई थ्रेशर मशीन निश्चित रूप से भारत में धान की खेती में क्रांति ला सकती है।
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